Saturday, June 27, 2015

प्राचीन बौद्ध स्थल “सोपारा" -वर्तमान-नालसोपारा (मुंबई)

प्राचीन बौद्ध स्थल “सोपारा" -वर्तमान-नालसोपारा (मुंबई)

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सोपारा महाराष्ट्र राज्य के ठाणे ज़िले में स्थित एक प्राचीन स्थान है। आजकल सोपारा दादर स्टेशन से वेस्टर्न सबर्बन रेलमार्ग पर लगभग 48 किलोमीटर दूर अंतिम पड़ाव 'विरार' से पहले पड़ता है।

'नाल' और 'सोपारा' दो अलग अलग गाँव थे। रेलवे लाइन के पूर्व की ओर 'नाल' है तो पश्चिम में 'सोपारा' गावँ है। वर्तमान में यह एक बड़ा शहर हो गया है। पुराने सोपारा गाँव के क़रीब चारों तरफ हरियाली और बहुत सारे पेड़ हैं।

सोपारा गाँव में सम्राट अशोक द्वारा ईसा पूर्व तीसरी सदी में निर्मित स्तूप भी है। यह स्तूप भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है।

वहां बुद्ध और साथ ही किसी बौद्ध भिक्षु की मूर्ती भी थी. हमें बताया गया कि यहाँ से निकली मूर्तियाँ, शिलालेख आदि औरंगाबाद के संग्रहालय में प्रर्दशित हैं.

जिस प्रकार दक्षिण भारत के पश्चिमी तट पर ईसा पूर्व से ही “मुज़रिस” (कोडूनगल्लूर) विदेश व्यापर के लिए ख्याति प्राप्त बंदरगाह रहा उसी प्रकार उत्तर भारत के पश्चिमी तट पर उसी कालक्रम में सोपारा भी भारत में प्रवेश के लिए एक महत्वपूर्ण बंदरगाह था. इस बंदरगाह का संपर्क विभिन्न देशों से रहा है. सोपारा को सोपारका, सुर्परका जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता था. प्राचीन अपरानता राज्य की राजधानी होने का भी गौरव सोपारा को प्राप्त है. इस्राइल के राजा सोलोमन के समय से ही बड़ी मात्रा में उनके देश से व्यापार का उल्लेख मिलता है. कदाचित बाइबिल में उल्लेखित भारतीय बंदरगाह “ओफिर” सोपारा ही था. बौद्ध साहित्य “महावंश” में उल्लेख है कि श्रीलंका के प्रथम राजा, विजय ने “सप्पारका” से श्रीलंका के लिए समुद्र मार्ग से प्रस्थान किया था. प्राचीन काल में सोपारा से नानेघाट, नासिक, महेश्वर होते हुए एक व्यापार मार्ग उज्जैन तक आता था. इस बात की पुष्टि नानेघाट में सातवाहन वंशीय राजाओं के शिलालेख से होती है, जो मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद हावी हो गए थे. सोपारा इनके आधीन आ गया था. नानेघाट में तो बाकायदा चुंगी वसूली एवं भण्डारण हेतु प्रयुक्त पत्थर से तराशा हुआ कलश आज भी विद्यमान है.

.साभार : http://buddhkathaiye.blogspot.in/

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