Friday, February 5, 2016

बुद्ध का पड़ाव देख भावुक हुए विदेशी भिक्षु

सिवान। सिवान के प्राचीन इतिहास में दर्ज बातें बौद्ध ग्रंथ व चीनी तीर्थ यात्रियों द्वारा वर्णित लेख तथा पुरातात्विक साक्ष्य व अवशेषों के आधार पर सिवान बौद्ध स्थल का बहुत बड़ा हब रहा है। विगत वर्ष पपउर में पुरातत्व विभाग द्वारा उत्खनन व तितर स्तूप के पास बौद्धकालीन मृदुभाण्ड व खंडित बुद्ध मूर्ति मिलना चर्चा का विषय बना हुआ है तथा अब विदेशी बौद्धों को भी आकर्षित कर रहा है। इसी क्रम में दो दिवसीय प्रवास पर आए विदेशी बौद्धों ने सोमवार की सुबह जीरादेई प्रखंड के तितरा गांव में स्थित तितर स्तूप व अन्य स्तूपों को दर्शन कर आस्था से ओतप्रोत होकर भावुक हो गए। वहां के मिट्टी भी अपने साथ ले गए। पपउर व विजयीपुर गांव में भारतीय संस्कृति के अनुसार विदेशी मेहमानों का भव्य स्वागत किया गया। तितर स्तूप व मुकुट बंधन मुईयागढ़ के पास प्रचुर मात्रा में बौद्धकालीन मृदभाण्ड व मिट्टी के बुद्ध मूर्ति को देखकर विदेशी बौद्ध काफी उत्सुक हुए तथा सिवान ही प्राचीन कुशीनारा विषय पर शोध कर रहे शोधार्थी कृष्ण कुमार सिंह से काफी चर्चा किए। शोधार्थी ने दर्जनों पुस्तकों पुरातत्ववेदाओं का लेख का रीफ्रेंस बौद्धकालीन पुरातात्विक अवशेष को दिखाकर विदेशी पर्यटकों को संतुष्ट किया। वियतनाम से आयी माता बोधी चिंता ने कहा कि वाकई यह शोध का विषय है। श्रीमती माता ने बताया कि बौद्ध ग्रंथों के अध्ययन व यहां प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों से सिवान में प्राचीन कुशीनारा होने की प्रबल संभावना है। गया महाबोधी मंदिर के मुख्य भन्ते अशोक भन्ते ने कहा कि सिवान में पपउर (पावा), ककुत्या (दाहानदी), हिरण्यवती (सोना नदी), शालवन का प्रतीक तितरा बंगरा वागवान का अपभ्रंश बंगरा व अन्य गांव क्रमश: महुआबारी, गुलरबग्गा, मालक नगर (मालक-वन), सिसहानी, सेलरापुर, पिपरहियां आदि सब गांव शालवान (वन) का ही सूचक है। तितरा गांव स्थित तितरा स्तूप, हिरणस्तूप (हिरणौली टोला), व्रजपाणी स्तूप (वाणीगढ़), मुकुट बंधन (मुईयागढ़) आदिर दर्जनों साक्ष्य यहां तीन विशाल स्तूप जो आज भी 30 से 40 फीट ऊंचा तथा इसके गर्भ में बौद्धकालीन अवशेषों का भंडार होना निश्चित ही शोध का विषय है। 
साभार : दैनिक जागरण 11 जनवरी 2016 


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