Friday, August 11, 2017

पराभव सुत्त - इन्सान के पतन के कारणॊं के लिये भगवान्‌ बुद्ध के 12 अनमोल प्रवचन

पराभव सुत्त - इन्सान के पतन के कारणॊं के लिये भगवान्‌ बुद्ध के 12 अनमोल प्रवचन


1. धम्म की कामना करनेवाले की उन्नति होती हैं, तो धम्म से द्वेष करने वाले का पराभव होता है ।
2. जिसे अच्छे लोग अप्रिय लगते हो एवं बुरे लोग प्रिय लगते हो, अशांति वाले धर्म ही जिसे प्रिय हो उसका पराभव होता है ।
3. जो निद्रालु हो, वाचाल हो, निरुद्योगी हो, आलसी हो, क्रोधी हो उसका पराभव होता है ।
4. विपुल सामग्री होने पर भी जो अपने बूढ़े माता पिता का भरण पोषण नहीं करता उसका पराभव होता है ।
5. जो (शील, समाधी, प्रज्ञा में प्रतिष्ठित) श्रेष्ठ पुरुष, श्रमण या अन्य आरण्यक वासी को झूठ बोलकर ठगता है उसका पराभव होता है ।
6. जिसके पास बहुत सारा धन -धान्य होने के होने बावजूद भी केवल वही अकेला उसका उपभोग करता है तो उसका पराभव होता है ।
7. जिसे अपनी जाती का, धन का, गोत्र का अभिमान हैं और इसी भाव में रहकर वह अपने भाई बन्धुओं को तिरस्कृत करता है – यह उसकी अवनति का मुख्य कारण है ।
8.जो व्यक्ति स्त्रियों के पीछे भागता रहता है , शराबी तथा जुआरी है , कमाये हुये धन को फ़िजूल मे खर्च कर देता है –उसकी अवनति का कारण निशचित है ।
9. जो व्यक्ति अपनी पत्नी से असन्तुष्ट रह्ता है तथा वेशयाओं और पराई स्त्रियों के साथ दिखाई देता है – यह उसकी अवनति का मुख्य कारण है ।
10. यौवन समाप्त होने पर जब व्यक्ति नवयुवती को लाता है तो उसकी ईर्ष्या के कारण वह नही सो सकता – यह उसकी अवनति का मुख्य कारण है ।
11. किसी उडाऊ एवं खर्चीली स्त्री या पुरुष को जो धन का रखवाला बना देता है, उसका पराभव होता है ।
12. उत्तम कुल मे उत्पन्न तथा अति मह्त्वाकांक्षी , अल्प सम्पति साधन वाला पुरुष जब राज्य की कामना करता है तो उसका पराभव होता है ।