Saturday, May 11, 2019

☀ *सम्मा दिट्ठी सुत्त* ☀

☀ *सम्मा दिट्ठी सुत्त* ☀

                 

       

🎯 Reference :-

 

     *मज्झिम निकाय* 

1. *मूल-पण्णासक*

1. *मूल-पलियाय-वग्ग*

9. *सम्मादिट्ठी सुत्तं*


 ऐसा मैने सुना—

एक समय *भगवान बुद्ध* सावत्थि के अनाथपिण्डक के आराम जेतवन में विहार करते थे।


वहाँ *आयुष्मान सारिपुत्त* ने भिक्खुओं को संबोधित किया— *आवुसो भिक्खुओं* !


*आवुस !* (कह) उन भिक्खुओं ने आयुष्मान *सारिपुत्त* को उत्तर दिया।


  *आयुष्मान सारिपुत्त* ने यह कहा—


*आवुसो* ! 


 *सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)  कही जाती है*


 *आवुसो* ! 


कैसे *अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक 

 factual follower)*

*सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)* होता है? 


उसकी *दिट्ठी सम्यक्* , वह *धम्म* में अत्यन्त *सद्धावान(faithful with Knowledge)* 

(और) इस संद्धर्भ को प्राप्त (होता है)?”


📍*आवुस* ! 

इस भाषण का अर्थ जानने के लिये हम दूर से भी *आयुष्मान सारिपुत्त* के पास आते हैं। अच्छा हो, *आयुष्मान सारिपुत्त* ही इस वचन का अर्थ कहें। *आयुष्मान सारिपुत्त* (के मुख) से सुनकर *भिक्खु* धारण करेंगे।”


📌“तो *आवुसो* ! सुनो, अच्छी तरह मन में करो कहता हूँ।”


📍*अच्छा आवुस* ! (कह) उन *भिक्खुओं* ने *आयुष्मान सारिपुत्त* को उत्तर दिया।


📌 *आयुष्मान् सारिपुत्त* ने यह कहा-


“जब,  *आवुसो* ! 

 *अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक 

 factual follower)* 

*अकुसल( #Bad phenomena )* को जानता है, 

*अकुसल- मूल*  को जानता है; 

*कुसल( #Good phenomena )* को जानता है ; 

*कुसल मूल* को जानता है; 


इतने से *आवुसो* !

 अरिय सावक *सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)* होता है। 


उसकी दिट्ठी सम्यक् (होती है), वह *धम्म* में अत्यन्त *सद्धावान( #faithful with Knowledge)* (और) इस संद्धर्भ को प्राप्त होता है।


🔴 क्या है, *आवुसो* ! 


*अकुसल( #Bad phenomena )* ?


क्या है *अकुसल मूल* ?


 क्या है *कुसल( #Good phenomena )*


क्या है *कुसल-मूल* —? 


   ☸ *आवुसो* !

 (1) *प्राणातिपात* ( #हिंसा=unnecessarily killing ) अकुसल है;


(2) *अदत्तादान*  अदिन्नादान( #चोरी, डकैती ,लूट)  अकुसल है; 


(3) *कामेसुमिच्छाचार* (=Improper way of works by Body& Mind)* काम ( #स्त्री-संसर्ग) में मिथ्याचार ( #दुराचार) .....॰


(4) *मुसावादो* ( #बकवाद,झूँठ Improper speech) मृषावाद ( #झूठ बोलना) .....॰


(5) *पिशुनवचन* ( #चुगली) ॰;


 (6) *परूषवचन* ( #कठोर भाषण) ॰; 


(7) *संप्रलाप* ( #बकवाद) ॰;


 (8) *अभिध्या* ( #लालच) ॰; 


(9) *व्यापाद* ( #प्रतिहिंसा) ॰; 


(10) *मिथ्यादिट्ठी*  (  #False view ,improper view , उल्टी दृष्टि )


—यह *आवुसो* ! 


*अकुसल* ( #bad phenomena ) कहा जाता है।


🌀  क्या है आवुसो!


 *अकुशल-मूल* ?—


(1)  *लोभ* ( #लालच), *आसक्त* ( #attachment) अकुसल-मूल है, 


(2)  *दोस* ( #hatred will )   ....॰ 


(3) *मोह* ( #delusion) अकुसल-मूल है।—


यह *आवुसो* !


*अकुसल-मूल* कहा जाता है। 


क्या है *आवुसो* ! 

  

🌺 *कुसल* (#Good phenomena ) ?—


(1) *प्राणातिपात* ( #हिंसा=unnecessarily killing ) से विरति (= विरत होना) कुसल है; 


(2) *अदत्तादान*  *अदिन्नादान* ( #चोरी, डकैती ,लूट) से विरति ........ ॰


(3) *कामेसुमिच्छाचार* (#Improper way of works by Body& Mind) कामों में मिथ्याचार से विरति ........ ॰


 (4) *मुसावादो* (#बकवाद,झूँठ Improper speech) मृषावाद ( #झूठ बोलना) से विरति .........  ॰


 (5) *पिशुनचवन* से विरति ....... ॰


(6) *परूष-वचन* से विरति ......... ॰


(7) *संप्रलाप* से विरति .......... ॰ 


(8) *अन अभिध्या*  .......... ॰


(9) *अ-व्यापाद*  ॰;


 (10) *सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)* कुसल है।


—यह *आवुसो* ! 


*कुसल* (#Good phenomena ) कहा जाता है। 


🔴 क्या है *आवुसो* !  ---  *कुसलमूल* ?


(1)  *अ-लोभ कुसल-मूल है!*


(2)  *अ-दोस कुसल-मूल है!*


(3)  *अ-मोह कुसल-मूल है!*


—यह आवुसो ! 

*कुसल-मूल कहा जाता है।*  


📌जब *आवुसो* ! 

अरियसावक इस प्रकार *अकुसल* को जानता है, इस प्रकार *अकुसल-मूल* को जानता है। 


📌  इस प्रकार *कुसल* को जानता है। 

इस प्रकार  *कुसल मूल* को जानता है!


(तो) वह राग-अनुशय ( # ॰ मल) का परित्यागकर, 

प्रतिघ (  #प्रतिहिंसा) अनुशय को हटाकर, अस्मि (   #मैं हूँ) इस दृष्टि-मान (  #धारणा के अभिमान)-अनुशय को उन्मूलन कर, *अविज्जा meaning action reaction unknowingly* को नष्ट कर, विद्या को उत्पन्न कर, इसी जन्म मे दुःखो का अन्त करने वाला होता है। 


इतने से भी आवुसो! 

 *अरिय सावक* ( #वास्तविक अनुगमक 

 factual follower)

 *सम्मादिट्ठी* ( #Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)  होता है॰। 


📍“ठीक *आवुस* !” (कह) उन भिक्खुओं ने *आयुष्मान सारिपुत्त* के *धम्मदेशना*

(#Dhamma teaching) का साधु‌ अनुमोदन कर, 


☀ आयुष्मान सारिपुत्त 

से आगे का प्रश्न पूछा—क्या *आवुस* ! 

और भी पर्याय ( #प्रकार) है, जिससे कि  *अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक 

 factual follower)*

 *सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)*  होता है ..... ॰ ?”


*आवुसो ! जब आवुसो* ! 


*अरिय सावक आहार को जानता है*

आहार-समुदय ( #आहार की उत्पत्ति) को जानता है, आहार-निरोध ॰, आहार-निरोध-गामिनी प्रतिपद् ( #आहार के विनाश की ओर ले जाने वाले मार्ग) को जानता है। इतने से आवुसो! अरियसावक *सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)*  होता है ॰। 


   🔴 क्या है , *आवुसो* ! 


आहार, क्या है ... आहार-समुदय॰  .... आहार-निरोध...॰ आहार निरोध गामिनी प्रतिपद् °?


— *आवुसो* ! सत्त्वों की स्थिति (और) होने वालों की सहायता के लिये भूतों ( #प्रणियों) के यह चार आहार हैं। 


📌कौन से चार?—

(1) स्थूल या सूक्ष्म कवलिंकार ( #ग्रास करके खया जाने वाला) आहार, 

(2) *फस्स*  ( #स्पर्श )दूसरा,

(3) *मन की संचेतना* ( #ख्याल)  तीसरा, 

(4)  *विञ्ञान*  ( #विज्ञान) चौथा। 


📌 *तण्हा समुदय* ( #उत्पत्ति) (ही) आहार का समुदय है। 


📌 *तण्हा निरोध आहार का निरोध है।* 


यह *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो आहार-निरोध गामिनी प्रतिपद् है* !


  🌺 जैसे कि—

 *दुक्खं निवारणं मग्गो* 

The path of miseries treatment

*अरिय अट्ठंगिको मग्गो* 

*Eightfold factual path*

१- *सम्मा दिट्ठी* 

 #Equanimous View.

*सम्मादिट्ठी* ( #Perfect view)

२- *सम्मा सङ्गकप्पो* 

#Equanimous determination..

३- *सम्मा वाचा* 

 #Equanimous speech..

४- *सम्मा कम्मंतो* 

 #Equanimous acts .

५- *सम्मा आजीवो* 

 #Equanimous profession ..

६- *सम्मा वायमो* 

 #Equanimous effort..

७- *सम्मा सति* 

 #Equanimous attentiveness ..

८- *सम्मा समाधि* 

  #Equanimous unshaken concenrtation of mind 


जब *आवुसो* ! 

 *अरिय सावक* (#वास्तविक अनुगमक 

 factual follower)

 इस प्रकार आहार को जानता है ॰, तो वह सर्वथा रागानुशय का परित्याग कर ॰ दुःखों का अन्त करने वाला होता है।

 इतने से आवुसो!📍“ठीक आवुस!” 

यह (कह) उन भिक्खुओं ने ॰1 आगे का प्रश्न पूछा—॰1।”


🔴  *आवुसो! जब आवुसो* ! 


 *अरिय सावक* (#वास्तविक अनुगमक 

 factual follower)

*दुःख* को जानता है, 

*दुःख-समुदय* (= दुःख की उत्पत्ति, या कारण) को जानता है, 

*दुःख-निरोध* को जानता है, (और) 

*दुःख-निरोधगामिनी प्रतिपद्*  को जानता है; 


तब आवुसो ! *अरियसावक* !


 **सम्मादिट्ठी* ( #Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)  होता है॰1।


🌀 क्या है *आवुसो*!

*दुःख* क्या है, 

*दुःख-समुदय* क्या है 

*दुःख-निरोध* क्या है 

*दुःख निरोध-गामिनी प्रतिपद्* ?

*जरा-मरणं-सोक-परिदेव-दुक्ख-दोमनस्स-उपायासा भी दुःख* है, 

किसी (चीज) की इच्छा करके उसे न पाना (यह) भी दुःख है; 


संक्षेप में *पाँचों उपादान* ( #विषय के तौर पर ग्रहण करने योग्य)  *खन्ध दुःख*  हैं।

 

इसे *आवुसो* ! 


*दुःख कहा जाता है।* 


*क्या है आवुसो ! दुःख-समुदय?*


   🌺  यह जो नन्दी उन उन (भोगों) का अभिनन्दन करने वाली, राग से संयुक्त, फिर फिर जन्म ने की तण्हा है; 


🌀 जैसे कि—


1) *कामभव*

( #sensual pleasure abode  ,छः इन्द्रियों का मजा अथवा दुख वाले निवास ) की तण्हा


2) *रूपभव* (  #fine metrial abode , अस्थूल शरीर काय ), की तण्हा


3) *अरूपभव* (#immaterial abode , शरीर-रहित अवस्था) की तण्हा


—यह *आवुसो* ! 


*दुःख-समुदय कहा जाता है।*


   🔴 क्या है *आवुसो* ! 


   ☸ *दुःख-निरोध* ?

—जो उस तण्हा का संपूर्ण तया विराग, निरोध, त्याग=प्रतिनिस्सर्ग, मुक्ति, अनालय (= उसमें लीन न होना)।


— *यह कहा जाता है आवुसो ! दुःखनिरोध।* 


 क्या है *आवुसो* ! 


___  *दुःखनिरोध-गामिनी प्रतिपद्* ?


___ यह *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो*  ॰ है। (4) 


जैसे कि- 

(1) **सम्मादिट्ठी* (Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)  ...... 


(8) *सम्मा समाधि* ( #equanimous unshaken-mind , Equanimous=सम्मा meaning towards purity )


 जब आवुसो!  *अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक factual follower)*

 इस प्रकार दुःख को जानता है ॰ ॰ 

इतने से आवुसो! ॰।📍“ठीक, आवुस! ॰1।”


☸ *आवुसो! जब आवुसो* ! 

*अरियसावक जरा-मरण को जानता है*....॰  *समुदय* .... ॰ ॰ 

*निरोध* ...॰॰ 

*निरोध गामिनी प्रतिपद् को जानता है*....°

जब *आवुसो* ! ... *अरियसावक*..... ॰1


क्या है *आवुसो* ! 

*जरा-मरण*... ॰ *समुदय*....॰ निरोध, ॰ *निरोध-गामिनी प्रतिपद्* .... ?—


जो उन उन प्राणियों की उन उन प्राणि-शरीरों में जरा ( #बुढापा) जीर्णता, खाण्डित्य ( #दाँत टूटना), पालित्य ( #बाल पकना), वलित्वक्ता ( #झुर्री पडना), आयु-क्षय, इन्द्रिय-परिपाक ( #विकार)।—यह कही जाती है आवुसो! जरा क्या है? 

आवुसो! मरण?—जो उन उन प्राणियों की उन उन प्राणि-शरीरों से च्युति=च्यवन होना, भेद ( #वियोग), अन्तर्धान, मृत्यु, मरण=कालक्रिया, स्कन्धों का विलग होना, कलेवर का निक्षेप ( #पतन)।


   🌺  *यह कहा जाता है आवुसो! मरण।* 


इस प्रकार यह जरा और यह मरण (दोनों मिलकर) *जरा-मरण* होते है। 

*जाति-समुदय*  ( #जन्म का होना) *जरा-मरण-समुदय है*

*जाति-निरोध* (होने से), 

*जरा-मरण-निरोध होता है* । 

यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो*

जरा *मरण निरोध गामिनी प्रतिपद् है* ; जैसे कि ॰1। जब आवुसो! ॰1।”📍ठीक आवुस! ॰1”


📌“आवुसो! जब आवुसो! 

*अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक 

 factual follower)*

 *तण्हा(libido)* को जानता है...॰ 

*समुदय* .....॰॰        *निरोध*.... ॰॰

 *निरोधगामिनी प्रतिपद्* को जानता है;


 तब आवुसो! "अरियसावक* ॰1। क्या है, 


आवुसो!  *तण्हा(libido)*... ॰ 

*समुदय* ..... ॰ *निरोध* .... ॰

*निरोधगामिनी प्रतिपद्* ?


🔴 — आवुसो !  *तण्हा(libido)* के यह छः आकार (= काया, =समुदाय) हैं—


१) *रूप-तण्हा* ( #libido)

२) *शब्द-तण्हा* (libido)

३) *गन्ध-तण्हा* (libido)

४) *रस-तण्हा* (libido)

५) *फस्स तण्हा* स्पर्श (touch) ( libido)

स्प्रष्टव्य-(  #त्वक् का विषय)-तण्हा, 

६) *धम्म तण्हा(libido)*

 ( #मन के विषय की)-


*वेदना-समुदय* (ही) *तण्हा-समुदय*  है, 

*वेदना-निरोध* (ही) *तण्हा-निरोध* है। 

यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो* 

*तण्हा-निरोध गामिनी प्रतिपद् है* 

जैसे कि ॰1। जब आवुसो! ॰1।”📍“ठीक, आवुस! ॰1”


📌“आवुसो! 

॰ *वेदना* को जानता है° 

*समुदय* ....॰,.   *निरोध* .....॰

॰ *निरोध-गामिनी प्रतिपद्* को जानता है। 

तब आवुसो! अरियसावक ॰1। 

क्या है, आवुसो! *वेदना, ॰ समुदय, ॰ निरोध, ॰ निरोध गामिनी प्रतिपद्* ?—


   🌺 --- *आवुसो* !


*वेदना के यह छ आकार हैं* —


(1) *चक्खुसम्फस्सजा* - *चक्खु*  (#आंख) के संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली  संवेदना 


(2) *सोतसम्फस्सजा*  -   *सोत* (#श्रोत्र )के 

संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली संवेदना, 


(3) *घानसम्फस्सजा* -  घाण के

संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली संवेदना, 


(4) *जिह्वासम्फस्सजा* -  *जिह्वा* ( #जीभ )

संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली संवेदना, 


(5) *कायसम्फस्सजा*  - *काया* के संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली संवेदना


(6) *मनोसम्फस्सजा* - *मन* के संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली संवेदना, । 


🌺१) *चक्खु +रूप (प्रकाश) चक्खुविञ्ञान*


🌺२) °°° *सोत्त +सब्द ---> सोत्तविञ्ञान* !


🌺 ३)  °°° *घाण +गन्ध घाणविञ्ञान*

 


🌺 (४)  °°° *जिह्वा+रस ---> जिह्वाविञ्ञान*


 🌺 ५) °°° *काया+फस्स ( #touch )      

                    --->कायविञ्ञान* 


 *फस्स* ( #touch स्पर्श इन्द्रिय और विषय का संयोग)-समुदय (से ही) वेदना-समुदय (होता है)


*फस्स-निरोध से वेदना-निरोध होता है।*

 

यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो* वेदना- निरोध गामिनी प्रतिपद् है, जैसे कि ॰1। जब आवुसो ॰1।📍“ठीक आवुस! ॰1।”


🔴 है, *आवुसो* ! 


॰  *फस्स* (स्पर्श teach #इन्द्रिय और विषय का संयोग) को जानता है, ॰ समुदय, ॰॰। 

तब आवुसो! अरियसावक ॰1। 


क्या है  *आवुसो* ! 

*फस्स (स्पर्श teach ) ,  *समुदय* ॰॰।?—


   🌺 *आवुसो* ! 

*फस्स* के यह प्रकार (या समुदाय) हैं

 (1) *चक्खुसम्फस्सो*   _   चक्षुः-संस्पर्श, 

(2)  *सोतसम्फस्सो*     _   श्रोत्र-संस्पर्श, 

(3)  *घाणसम्फस्सो*     _    घ्राण-संस्पर्श,

(4) *जिह्वासम्फस्सो*   _   जिह्वा सस्पर्श, 

(5) *कायसम्फस्सो*    _   काय-संस्पर्श, 

(6) *मनोसम्फस्सो*     _    मनः-संस्पर्श। 


 🌀  *षड्-आयतन* (= चक्खु, श्रोत्र, घ्राण, जिह्वा, काय या त्वचा और मन यह छः इन्द्रियाँ)-


*समुदय (ही) स्पर्श-समुदय है।* 


*षडायतन-निरोध से फस्स-निरोध (होता है)।* 


*यही अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो*


*फस्स-निरोध-गामिनी प्रतिपद् है* , जैसे कि ॰1। जब आवुसो ॰1।📍“ठीक आवुस! ॰1”


 🌸  *आवुसो* ! 

॰ *षडायतन को जानता है, ॰ समुदय ॰। ॰ ॰ । 

तब आवुसो! अरियसावक*  ॰1। 


क्या है आवुसो ! *षडायतन* ॰ *निरोध* ॰॰?

—आवुसो! यह छ आयतन ( #इन्द्रिय) हैं—

(1) *चक्खु-आयतन* 

(2) *श्रोत्र-आयतन*

(3) *घ्राण-आयतन*

(4) *जिह्वा-आयतन*

(5) *काय-आयतन*

(6) *मन-आयतन*  


*नाम-रूप( #विञ्ञान और रूप वेदना सञ्ञा संखा़र )समुदय* 


*षडायतन-समुदय* है, 


*नाम-रूप-निरोध (ही) षडायतन-निरोध है* ।

 

यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो*  ॰1।॰1।

📍“ठीक आवुस! ॰”

    


 “है, आवुसो! 

 *नाम-रूप* को जानता है* ? ॰ *समुदय* ॰॰॰ 


 तब *आवुसो! अरियसावक* ॰1। 


   🔴 क्या है *आवुसो*! 


*नाम-रूप, ॰ निरोध* , ॰ ॰?—

(1) *वेदना* (#संवेदना sensation )

(= विषय और इन्द्रिय के संयोग से उत्पन्न मन पर प्रथम प्रभाव), 


(2)  *सञ्ञा(Perception)* 

(#संज्ञा संवेदना के अनंतर की मन की अवस्था), 


(3) *चेतना* ( #संज्ञा के अनंतर की मन की अवस्था) 


(4) *फस्स*  ( #स्पर्श, teach )


 *नाम संखा़र( #stored /memorised work)* 

*मनसिकार* ( #picked up by mind अर्थात चित्त द्वारा सम्बद्ध इन्द्रिय अनुभव को जानना)


🎯 🎯    *विशेष टिप्पणी*  !  🎯 🎯   


  *वेदना सञ्ञा चेतना फस्स मनसिकारो*


इसे नाम कहा है ,  *अर्हंत अग्र धम्म सेनापती सारिपुत्त* जी ने ।


तो *चेतना फस्स दोनों मिलाकर संखार खन्ध ही के भाग* हैं ,उन्होंने ज्यादा खोलकर कहा है ।

 *मनसिकारो यह है विञ्ञान है !*


क्योंकि 

यहां *सारिपुत्त* के ये वचन हैं जो *भगवा बुद्ध* द्वारा *अनुमोदित* हैं ।


पर *भगवांबुद्ध* जगह जगह 


*नामरूप* को 

*नाम=वेदना सञ्ञा संखार विञ्ञान कहते हैं* 


  (यहां *भन्ते सारिपुत्त* ने 

*संखार के दो चेतसिकों , चेतना और फस्स (  #volition & contact/touch)*  को दिखाया है ।

और

*विञ्ञान* की जगह 

*मनसिकारो* ( #consciousness arises  known by mind) को दर्शाया है जो कि अभिधम्म अनुसार ज्यादा खोलकर समझाया हैं !


🔴 —यह *आवुसो* !

 नाम हैं। चार महाभूत और चार महाभूतों को लेकर (बने) रूप, आवुसो रूप कहा जाता है। 

इस प्रकार यह नाम, (और) यह रूप, (दोनों मिलकर) 


🌺आवुसो ! *नाम-रूप* कहा जाता है।

 *विञ्ञान* ( #Eternal Energy)

 *विञ्ञान-समुदय नाम-रूप-समुदय है।* 

 *विञ्ञान-निरोध, नाम-रूप-निरोध है।* 

यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो*  ॰1। ॰1।

“ठीक आवुस! ॰1”


 🔴 है, आवुसो! ॰ 

विञ्ञान को जानता है, ॰ समुदय, ॰ ॰। 

तब आवुसो! अरियसावक ॰1। 


क्या है आवुसो! *विञ्ञान, ॰ समुदय* ॰ ॰? 


   ☸ — *आवुसो* ! 

*यह छ विञ्ञान के समुदाय (= काय) हैं* —

(1)  *चक्खु-विञ्ञान*

(2)  *श्रोत्र-विञ्ञान*

(3)  *घ्राण-विञ्ञान* 

(4)  *जिह्वा-विञ्ञान*

(5)  *काय-विञ्ञान* 

(6)  *मनो-विञ्ञान* 

*सखा़रं-समुदय विञ्ञान-समुदय है!* 

*सखा़रं-निरोध विञ्ञान-निरोध है।* 

यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो* ॰1। ॰1।

📍“ठीक आवुस! ॰1”


📌 *आवुसो* ! ॰

 सखा़रं को जानता है। ॰ समुदय, ॰ ॰। 

तब आवुसो! *अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक  factual follower)* ॰1। 


 🌸  क्या है आवुसो! 

सखा़रं, (= क्रिया, गति) ॰ समुदय, ॰ ॰?—

आवुसो! यह तीन सखा़रं है—

(1)  *कायसखा़रं*  - काय-संस्कार, 

(2)  *वाचासखा़रं*    - वचन-संस्कार, 

(3)  *चित्तसखा़रं*     - चित्त-संस्कार, 

*निरोध* है। यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो*  ॰1। ॰1।📍“ठीक आवुस! ॰1”


📌 *आवुसो* ! 

॰ *अविज्जा meaning action reaction unknowingly* को जानता है, ॰ समुदय, ॰ ॰। 

तब आवुसो!  *अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक factual follower)* ॰1।


 क्या है आवुसो *अविज्जा* , ॰ समुदय, ॰ ॰?


  🔴  —आवुसो ! 

जो यह *दुःख के विषय में अविज्जा* , 

*दुःख समुदय के विषय में अविज्जा* , *दुःख-निरोध के विषय में अविज्जा* , *दुःख-निरोध-गामिनी प्रतिपद् के विषय में अविज्जा*


--- इसे *आवुसो* ! 

*अविज्जा meaning action reaction unknowingly* कहा जाता है। 


*आस्रव-समुदय अविज्जा-समुदय है।* 

*आस्रव-निरोध अविज्जा-निरोध है।*

यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो*  ॰1। ॰1।

📍“ठीक आवुस! ॰1”


🌺     है, *आवुसो* ! ॰

 *आस्रव ( #चित्तमल) को जातना है*....०

॰ समुदय ॰ ॰। 

तब आवुसो! अरियसावक ॰1। 


क्या है आवुसो! आस्रव, ॰ समुदय ॰ ॰?—


*आवुसो* ! यह तीन आस्रव हैं—

(1) *काम-आस्रव* , 

(2) *भव-आस्रव*  ( #पुनब्भव ) 

(3) *अविज्जा-आस्रव।* 


*अविज्जा-समुदय आस्रव-समुदय है*

*अविज्जा-निरोध आस्रव-निरोध है।* 

*यही अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो*  ॰1।


📌  इतने से आवुसो !  

*अरिय सावक* ( #वास्तविक अनुगमक 

 factual follower)

 **सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)  होता है, उसकी दिट्ठी सम्यक् (होती है), वह धम्म मे अत्यन्त *सद्धावान( #faithful with Knowledge)* , (और) इस संद्धर्भ को प्राप्त होता है।”


🌺 *आयुष्मान् सारिपुत्त* ने यह कहा, सन्तुष्ट हो उन *भिक्खुओं* ने आयुष्मान सारिपुत्त के *धम्मदेशना* का *साधु अनुमोदन* किया।


 *साधु साधु साधु*  ! 🙏🙏🙏


📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌


     *परिशिष्ट (Appendix)*


     

  🔴 १-*अविज्जा* (=५२चेतसिक विञ्ञान में से एक ,जो कि चित्त-विञ्ञान के सहगत रहता है और जिसका काम है ढंकना अथवा तथ्य को छुपाना)

के *पच्चया(=assimilation)* अर्थात कारण से 

*सङ्खारा/संखारा* (=impressions into consciousness) उत्पन्न होते हैं ।


🔴 २-*सङ्खारो/संखारो* ( #संस्कारों) के  *पच्चया(  #assimilation)* से *विञ्ञान(  #नया चैतन्य तत्व ,new conscious waves)*,  

  

🔴 ३- *विञ्ञान* ( #conscious waves ) के *पच्चया( #assimilation)* से *नाम-रूप* 


🔴 ४- *नाम-रूप( #body & mind)* के *पच्चया( #assimilation)* से *सळायतन* ( #षडायतन,six organ system of body) 


🔴 ५- *सळायतन के पच्चया* (#assimilation) से *फस्स* (#स्पर्श)  

                     

🔴 ६- *फस्स के पच्चया* (  #assimilation) से *वेदना* (=sensations of pleasure ,pain & neutral)                         


🔴 ७- *वेदना के पच्चया*

( #assimilation) से *तण्हा* (=libido,तृष्णा)                          


🔴 ८- *तण्हा* (libido) के *पच्चया(=assimilation)*  *उपादान* (=आसक्ति,addiction),         


🔴 ९- *उपादान के पच्चया* (=assimilation) से *भव(=happening, changing to new)*                         


🔴 १०- *भव(=changing to new) के पच्चया(=assimilation) से *जाति* (=new form, new stage of body&mind )*                             


🔴११- *जाति के पच्चया*(=assimilation) से *जरा मरणं, सोक, परिदेव, दुक्ख दोमनस्सुपायासा* (बुढा़पा, मृत्यु, शोक, परिदेव, दु:ख-दौर्मनस्य एवं उपायास) उत्पन्न होते हैं। 


इस प्रकार इस समस्त *दुक्ख-खन्ध(रूपनाम ,body&life) का समुदय ( #पुराने का नया उत्पाद) होता है।*  


 🌺पटिच्चसमुप्पाद भव चक्क🌺


          अविज्जा 

    🔄               🔄

संखा़र              जरा-मच्चु 

🔃                      🔃

विञ्ञान               जाति

🔃                      🔃

नामरूप                भव

🔃                      🔃  

षडायतन            उपादान

🔃                     🔃

फस्स                   तण्हा ((libido)

     🔄            🔄

            वेदना  

      (Sensations)


📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌


🌺 *साधु साधु साधु*  ! 🙏🙏🙏


 ☸ *धम्म चक्क गतिमान* ! ☸


  ⚜ *जय मङ्गल धम्म* ! ⚜


  ☸ *नमो बुद्धाय* ! 🙏🙏🙏