☀ *सम्मा दिट्ठी सुत्त* ☀
🎯 Reference :-
*मज्झिम निकाय*
1. *मूल-पण्णासक*
1. *मूल-पलियाय-वग्ग*
9. *सम्मादिट्ठी सुत्तं*
ऐसा मैने सुना—
एक समय *भगवान बुद्ध* सावत्थि के अनाथपिण्डक के आराम जेतवन में विहार करते थे।
वहाँ *आयुष्मान सारिपुत्त* ने भिक्खुओं को संबोधित किया— *आवुसो भिक्खुओं* !
*आवुस !* (कह) उन भिक्खुओं ने आयुष्मान *सारिपुत्त* को उत्तर दिया।
*आयुष्मान सारिपुत्त* ने यह कहा—
*आवुसो* !
*सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला) कही जाती है*
*आवुसो* !
कैसे *अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक
factual follower)*
*सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)* होता है?
उसकी *दिट्ठी सम्यक्* , वह *धम्म* में अत्यन्त *सद्धावान(faithful with Knowledge)*
(और) इस संद्धर्भ को प्राप्त (होता है)?”
📍*आवुस* !
इस भाषण का अर्थ जानने के लिये हम दूर से भी *आयुष्मान सारिपुत्त* के पास आते हैं। अच्छा हो, *आयुष्मान सारिपुत्त* ही इस वचन का अर्थ कहें। *आयुष्मान सारिपुत्त* (के मुख) से सुनकर *भिक्खु* धारण करेंगे।”
📌“तो *आवुसो* ! सुनो, अच्छी तरह मन में करो कहता हूँ।”
📍*अच्छा आवुस* ! (कह) उन *भिक्खुओं* ने *आयुष्मान सारिपुत्त* को उत्तर दिया।
📌 *आयुष्मान् सारिपुत्त* ने यह कहा-
“जब, *आवुसो* !
*अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक
factual follower)*
*अकुसल( #Bad phenomena )* को जानता है,
*अकुसल- मूल* को जानता है;
*कुसल( #Good phenomena )* को जानता है ;
*कुसल मूल* को जानता है;
इतने से *आवुसो* !
अरिय सावक *सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)* होता है।
उसकी दिट्ठी सम्यक् (होती है), वह *धम्म* में अत्यन्त *सद्धावान( #faithful with Knowledge)* (और) इस संद्धर्भ को प्राप्त होता है।
🔴 क्या है, *आवुसो* !
*अकुसल( #Bad phenomena )* ?
क्या है *अकुसल मूल* ?
क्या है *कुसल( #Good phenomena )*
क्या है *कुसल-मूल* —?
☸ *आवुसो* !
(1) *प्राणातिपात* ( #हिंसा=unnecessarily killing ) अकुसल है;
(2) *अदत्तादान* अदिन्नादान( #चोरी, डकैती ,लूट) अकुसल है;
(3) *कामेसुमिच्छाचार* (=Improper way of works by Body& Mind)* काम ( #स्त्री-संसर्ग) में मिथ्याचार ( #दुराचार) .....॰
(4) *मुसावादो* ( #बकवाद,झूँठ Improper speech) मृषावाद ( #झूठ बोलना) .....॰
(5) *पिशुनवचन* ( #चुगली) ॰;
(6) *परूषवचन* ( #कठोर भाषण) ॰;
(7) *संप्रलाप* ( #बकवाद) ॰;
(8) *अभिध्या* ( #लालच) ॰;
(9) *व्यापाद* ( #प्रतिहिंसा) ॰;
(10) *मिथ्यादिट्ठी* ( #False view ,improper view , उल्टी दृष्टि )
—यह *आवुसो* !
*अकुसल* ( #bad phenomena ) कहा जाता है।
🌀 क्या है आवुसो!
*अकुशल-मूल* ?—
(1) *लोभ* ( #लालच), *आसक्त* ( #attachment) अकुसल-मूल है,
(2) *दोस* ( #hatred will ) ....॰
(3) *मोह* ( #delusion) अकुसल-मूल है।—
यह *आवुसो* !
*अकुसल-मूल* कहा जाता है।
क्या है *आवुसो* !
🌺 *कुसल* (#Good phenomena ) ?—
(1) *प्राणातिपात* ( #हिंसा=unnecessarily killing ) से विरति (= विरत होना) कुसल है;
(2) *अदत्तादान* *अदिन्नादान* ( #चोरी, डकैती ,लूट) से विरति ........ ॰
(3) *कामेसुमिच्छाचार* (#Improper way of works by Body& Mind) कामों में मिथ्याचार से विरति ........ ॰
(4) *मुसावादो* (#बकवाद,झूँठ Improper speech) मृषावाद ( #झूठ बोलना) से विरति ......... ॰
(5) *पिशुनचवन* से विरति ....... ॰
(6) *परूष-वचन* से विरति ......... ॰
(7) *संप्रलाप* से विरति .......... ॰
(8) *अन अभिध्या* .......... ॰
(9) *अ-व्यापाद* ॰;
(10) *सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)* कुसल है।
—यह *आवुसो* !
*कुसल* (#Good phenomena ) कहा जाता है।
🔴 क्या है *आवुसो* ! --- *कुसलमूल* ?
(1) *अ-लोभ कुसल-मूल है!*
(2) *अ-दोस कुसल-मूल है!*
(3) *अ-मोह कुसल-मूल है!*
—यह आवुसो !
*कुसल-मूल कहा जाता है।*
📌जब *आवुसो* !
अरियसावक इस प्रकार *अकुसल* को जानता है, इस प्रकार *अकुसल-मूल* को जानता है।
📌 इस प्रकार *कुसल* को जानता है।
इस प्रकार *कुसल मूल* को जानता है!
(तो) वह राग-अनुशय ( # ॰ मल) का परित्यागकर,
प्रतिघ ( #प्रतिहिंसा) अनुशय को हटाकर, अस्मि ( #मैं हूँ) इस दृष्टि-मान ( #धारणा के अभिमान)-अनुशय को उन्मूलन कर, *अविज्जा meaning action reaction unknowingly* को नष्ट कर, विद्या को उत्पन्न कर, इसी जन्म मे दुःखो का अन्त करने वाला होता है।
इतने से भी आवुसो!
*अरिय सावक* ( #वास्तविक अनुगमक
factual follower)
*सम्मादिट्ठी* ( #Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला) होता है॰।
📍“ठीक *आवुस* !” (कह) उन भिक्खुओं ने *आयुष्मान सारिपुत्त* के *धम्मदेशना*
(#Dhamma teaching) का साधु अनुमोदन कर,
☀ आयुष्मान सारिपुत्त
से आगे का प्रश्न पूछा—क्या *आवुस* !
और भी पर्याय ( #प्रकार) है, जिससे कि *अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक
factual follower)*
*सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)* होता है ..... ॰ ?”
*आवुसो ! जब आवुसो* !
*अरिय सावक आहार को जानता है*
आहार-समुदय ( #आहार की उत्पत्ति) को जानता है, आहार-निरोध ॰, आहार-निरोध-गामिनी प्रतिपद् ( #आहार के विनाश की ओर ले जाने वाले मार्ग) को जानता है। इतने से आवुसो! अरियसावक *सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला)* होता है ॰।
🔴 क्या है , *आवुसो* !
आहार, क्या है ... आहार-समुदय॰ .... आहार-निरोध...॰ आहार निरोध गामिनी प्रतिपद् °?
— *आवुसो* ! सत्त्वों की स्थिति (और) होने वालों की सहायता के लिये भूतों ( #प्रणियों) के यह चार आहार हैं।
📌कौन से चार?—
(1) स्थूल या सूक्ष्म कवलिंकार ( #ग्रास करके खया जाने वाला) आहार,
(2) *फस्स* ( #स्पर्श )दूसरा,
(3) *मन की संचेतना* ( #ख्याल) तीसरा,
(4) *विञ्ञान* ( #विज्ञान) चौथा।
📌 *तण्हा समुदय* ( #उत्पत्ति) (ही) आहार का समुदय है।
📌 *तण्हा निरोध आहार का निरोध है।*
यह *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो आहार-निरोध गामिनी प्रतिपद् है* !
🌺 जैसे कि—
*दुक्खं निवारणं मग्गो*
The path of miseries treatment
*अरिय अट्ठंगिको मग्गो*
*Eightfold factual path*
१- *सम्मा दिट्ठी*
#Equanimous View.
*सम्मादिट्ठी* ( #Perfect view)
२- *सम्मा सङ्गकप्पो*
#Equanimous determination..
३- *सम्मा वाचा*
#Equanimous speech..
४- *सम्मा कम्मंतो*
#Equanimous acts .
५- *सम्मा आजीवो*
#Equanimous profession ..
६- *सम्मा वायमो*
#Equanimous effort..
७- *सम्मा सति*
#Equanimous attentiveness ..
८- *सम्मा समाधि*
#Equanimous unshaken concenrtation of mind
जब *आवुसो* !
*अरिय सावक* (#वास्तविक अनुगमक
factual follower)
इस प्रकार आहार को जानता है ॰, तो वह सर्वथा रागानुशय का परित्याग कर ॰ दुःखों का अन्त करने वाला होता है।
इतने से आवुसो!📍“ठीक आवुस!”
यह (कह) उन भिक्खुओं ने ॰1 आगे का प्रश्न पूछा—॰1।”
🔴 *आवुसो! जब आवुसो* !
*अरिय सावक* (#वास्तविक अनुगमक
factual follower)
*दुःख* को जानता है,
*दुःख-समुदय* (= दुःख की उत्पत्ति, या कारण) को जानता है,
*दुःख-निरोध* को जानता है, (और)
*दुःख-निरोधगामिनी प्रतिपद्* को जानता है;
तब आवुसो ! *अरियसावक* !
**सम्मादिट्ठी* ( #Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला) होता है॰1।
🌀 क्या है *आवुसो*!
*दुःख* क्या है,
*दुःख-समुदय* क्या है
*दुःख-निरोध* क्या है
*दुःख निरोध-गामिनी प्रतिपद्* ?
*जरा-मरणं-सोक-परिदेव-दुक्ख-दोमनस्स-उपायासा भी दुःख* है,
किसी (चीज) की इच्छा करके उसे न पाना (यह) भी दुःख है;
संक्षेप में *पाँचों उपादान* ( #विषय के तौर पर ग्रहण करने योग्य) *खन्ध दुःख* हैं।
इसे *आवुसो* !
*दुःख कहा जाता है।*
*क्या है आवुसो ! दुःख-समुदय?*
🌺 यह जो नन्दी उन उन (भोगों) का अभिनन्दन करने वाली, राग से संयुक्त, फिर फिर जन्म ने की तण्हा है;
🌀 जैसे कि—
1) *कामभव*
( #sensual pleasure abode ,छः इन्द्रियों का मजा अथवा दुख वाले निवास ) की तण्हा
2) *रूपभव* ( #fine metrial abode , अस्थूल शरीर काय ), की तण्हा
3) *अरूपभव* (#immaterial abode , शरीर-रहित अवस्था) की तण्हा
—यह *आवुसो* !
*दुःख-समुदय कहा जाता है।*
🔴 क्या है *आवुसो* !
☸ *दुःख-निरोध* ?
—जो उस तण्हा का संपूर्ण तया विराग, निरोध, त्याग=प्रतिनिस्सर्ग, मुक्ति, अनालय (= उसमें लीन न होना)।
— *यह कहा जाता है आवुसो ! दुःखनिरोध।*
क्या है *आवुसो* !
___ *दुःखनिरोध-गामिनी प्रतिपद्* ?
___ यह *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो* ॰ है। (4)
जैसे कि-
(1) **सम्मादिट्ठी* (Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला) ......
(8) *सम्मा समाधि* ( #equanimous unshaken-mind , Equanimous=सम्मा meaning towards purity )
जब आवुसो! *अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक factual follower)*
इस प्रकार दुःख को जानता है ॰ ॰
इतने से आवुसो! ॰।📍“ठीक, आवुस! ॰1।”
☸ *आवुसो! जब आवुसो* !
*अरियसावक जरा-मरण को जानता है*....॰ *समुदय* .... ॰ ॰
*निरोध* ...॰॰
*निरोध गामिनी प्रतिपद् को जानता है*....°
जब *आवुसो* ! ... *अरियसावक*..... ॰1
क्या है *आवुसो* !
*जरा-मरण*... ॰ *समुदय*....॰ निरोध, ॰ *निरोध-गामिनी प्रतिपद्* .... ?—
जो उन उन प्राणियों की उन उन प्राणि-शरीरों में जरा ( #बुढापा) जीर्णता, खाण्डित्य ( #दाँत टूटना), पालित्य ( #बाल पकना), वलित्वक्ता ( #झुर्री पडना), आयु-क्षय, इन्द्रिय-परिपाक ( #विकार)।—यह कही जाती है आवुसो! जरा क्या है?
आवुसो! मरण?—जो उन उन प्राणियों की उन उन प्राणि-शरीरों से च्युति=च्यवन होना, भेद ( #वियोग), अन्तर्धान, मृत्यु, मरण=कालक्रिया, स्कन्धों का विलग होना, कलेवर का निक्षेप ( #पतन)।
🌺 *यह कहा जाता है आवुसो! मरण।*
इस प्रकार यह जरा और यह मरण (दोनों मिलकर) *जरा-मरण* होते है।
*जाति-समुदय* ( #जन्म का होना) *जरा-मरण-समुदय है*
*जाति-निरोध* (होने से),
*जरा-मरण-निरोध होता है* ।
यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो*
जरा *मरण निरोध गामिनी प्रतिपद् है* ; जैसे कि ॰1। जब आवुसो! ॰1।”📍ठीक आवुस! ॰1”
📌“आवुसो! जब आवुसो!
*अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक
factual follower)*
*तण्हा(libido)* को जानता है...॰
*समुदय* .....॰॰ *निरोध*.... ॰॰
*निरोधगामिनी प्रतिपद्* को जानता है;
तब आवुसो! "अरियसावक* ॰1। क्या है,
आवुसो! *तण्हा(libido)*... ॰
*समुदय* ..... ॰ *निरोध* .... ॰
*निरोधगामिनी प्रतिपद्* ?
🔴 — आवुसो ! *तण्हा(libido)* के यह छः आकार (= काया, =समुदाय) हैं—
१) *रूप-तण्हा* ( #libido)
२) *शब्द-तण्हा* (libido)
३) *गन्ध-तण्हा* (libido)
४) *रस-तण्हा* (libido)
५) *फस्स तण्हा* स्पर्श (touch) ( libido)
स्प्रष्टव्य-( #त्वक् का विषय)-तण्हा,
६) *धम्म तण्हा(libido)*
( #मन के विषय की)-
*वेदना-समुदय* (ही) *तण्हा-समुदय* है,
*वेदना-निरोध* (ही) *तण्हा-निरोध* है।
यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो*
*तण्हा-निरोध गामिनी प्रतिपद् है*
जैसे कि ॰1। जब आवुसो! ॰1।”📍“ठीक, आवुस! ॰1”
📌“आवुसो!
॰ *वेदना* को जानता है°
*समुदय* ....॰,. *निरोध* .....॰
॰ *निरोध-गामिनी प्रतिपद्* को जानता है।
तब आवुसो! अरियसावक ॰1।
क्या है, आवुसो! *वेदना, ॰ समुदय, ॰ निरोध, ॰ निरोध गामिनी प्रतिपद्* ?—
🌺 --- *आवुसो* !
*वेदना के यह छ आकार हैं* —
(1) *चक्खुसम्फस्सजा* - *चक्खु* (#आंख) के संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली संवेदना
(2) *सोतसम्फस्सजा* - *सोत* (#श्रोत्र )के
संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली संवेदना,
(3) *घानसम्फस्सजा* - घाण के
संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली संवेदना,
(4) *जिह्वासम्फस्सजा* - *जिह्वा* ( #जीभ )
संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली संवेदना,
(5) *कायसम्फस्सजा* - *काया* के संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली संवेदना
(6) *मनोसम्फस्सजा* - *मन* के संस्पर्श से उत्पन्न होने वाली संवेदना, ।
🌺१) *चक्खु +रूप (प्रकाश) चक्खुविञ्ञान*
🌺२) °°° *सोत्त +सब्द ---> सोत्तविञ्ञान* !
🌺 ३) °°° *घाण +गन्ध घाणविञ्ञान*
🌺 (४) °°° *जिह्वा+रस ---> जिह्वाविञ्ञान*
🌺 ५) °°° *काया+फस्स ( #touch )
--->कायविञ्ञान*
*फस्स* ( #touch स्पर्श इन्द्रिय और विषय का संयोग)-समुदय (से ही) वेदना-समुदय (होता है)
*फस्स-निरोध से वेदना-निरोध होता है।*
यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो* वेदना- निरोध गामिनी प्रतिपद् है, जैसे कि ॰1। जब आवुसो ॰1।📍“ठीक आवुस! ॰1।”
🔴 है, *आवुसो* !
॰ *फस्स* (स्पर्श teach #इन्द्रिय और विषय का संयोग) को जानता है, ॰ समुदय, ॰॰।
तब आवुसो! अरियसावक ॰1।
क्या है *आवुसो* !
*फस्स (स्पर्श teach ) , *समुदय* ॰॰।?—
🌺 *आवुसो* !
*फस्स* के यह प्रकार (या समुदाय) हैं
(1) *चक्खुसम्फस्सो* _ चक्षुः-संस्पर्श,
(2) *सोतसम्फस्सो* _ श्रोत्र-संस्पर्श,
(3) *घाणसम्फस्सो* _ घ्राण-संस्पर्श,
(4) *जिह्वासम्फस्सो* _ जिह्वा सस्पर्श,
(5) *कायसम्फस्सो* _ काय-संस्पर्श,
(6) *मनोसम्फस्सो* _ मनः-संस्पर्श।
🌀 *षड्-आयतन* (= चक्खु, श्रोत्र, घ्राण, जिह्वा, काय या त्वचा और मन यह छः इन्द्रियाँ)-
*समुदय (ही) स्पर्श-समुदय है।*
*षडायतन-निरोध से फस्स-निरोध (होता है)।*
*यही अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो*
*फस्स-निरोध-गामिनी प्रतिपद् है* , जैसे कि ॰1। जब आवुसो ॰1।📍“ठीक आवुस! ॰1”
🌸 *आवुसो* !
॰ *षडायतन को जानता है, ॰ समुदय ॰। ॰ ॰ ।
तब आवुसो! अरियसावक* ॰1।
क्या है आवुसो ! *षडायतन* ॰ *निरोध* ॰॰?
—आवुसो! यह छ आयतन ( #इन्द्रिय) हैं—
(1) *चक्खु-आयतन*
(2) *श्रोत्र-आयतन*
(3) *घ्राण-आयतन*
(4) *जिह्वा-आयतन*
(5) *काय-आयतन*
(6) *मन-आयतन*
*नाम-रूप( #विञ्ञान और रूप वेदना सञ्ञा संखा़र )समुदय*
*षडायतन-समुदय* है,
*नाम-रूप-निरोध (ही) षडायतन-निरोध है* ।
यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो* ॰1।॰1।
📍“ठीक आवुस! ॰”
“है, आवुसो!
*नाम-रूप* को जानता है* ? ॰ *समुदय* ॰॰॰
तब *आवुसो! अरियसावक* ॰1।
🔴 क्या है *आवुसो*!
*नाम-रूप, ॰ निरोध* , ॰ ॰?—
(1) *वेदना* (#संवेदना sensation )
(= विषय और इन्द्रिय के संयोग से उत्पन्न मन पर प्रथम प्रभाव),
(2) *सञ्ञा(Perception)*
(#संज्ञा संवेदना के अनंतर की मन की अवस्था),
(3) *चेतना* ( #संज्ञा के अनंतर की मन की अवस्था)
(4) *फस्स* ( #स्पर्श, teach )
*नाम संखा़र( #stored /memorised work)*
*मनसिकार* ( #picked up by mind अर्थात चित्त द्वारा सम्बद्ध इन्द्रिय अनुभव को जानना)
🎯 🎯 *विशेष टिप्पणी* ! 🎯 🎯
*वेदना सञ्ञा चेतना फस्स मनसिकारो*
इसे नाम कहा है , *अर्हंत अग्र धम्म सेनापती सारिपुत्त* जी ने ।
तो *चेतना फस्स दोनों मिलाकर संखार खन्ध ही के भाग* हैं ,उन्होंने ज्यादा खोलकर कहा है ।
*मनसिकारो यह है विञ्ञान है !*
क्योंकि
यहां *सारिपुत्त* के ये वचन हैं जो *भगवा बुद्ध* द्वारा *अनुमोदित* हैं ।
पर *भगवांबुद्ध* जगह जगह
*नामरूप* को
*नाम=वेदना सञ्ञा संखार विञ्ञान कहते हैं*
(यहां *भन्ते सारिपुत्त* ने
*संखार के दो चेतसिकों , चेतना और फस्स ( #volition & contact/touch)* को दिखाया है ।
और
*विञ्ञान* की जगह
*मनसिकारो* ( #consciousness arises known by mind) को दर्शाया है जो कि अभिधम्म अनुसार ज्यादा खोलकर समझाया हैं !
🔴 —यह *आवुसो* !
नाम हैं। चार महाभूत और चार महाभूतों को लेकर (बने) रूप, आवुसो रूप कहा जाता है।
इस प्रकार यह नाम, (और) यह रूप, (दोनों मिलकर)
🌺आवुसो ! *नाम-रूप* कहा जाता है।
*विञ्ञान* ( #Eternal Energy)
*विञ्ञान-समुदय नाम-रूप-समुदय है।*
*विञ्ञान-निरोध, नाम-रूप-निरोध है।*
यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो* ॰1। ॰1।
“ठीक आवुस! ॰1”
🔴 है, आवुसो! ॰
विञ्ञान को जानता है, ॰ समुदय, ॰ ॰।
तब आवुसो! अरियसावक ॰1।
क्या है आवुसो! *विञ्ञान, ॰ समुदय* ॰ ॰?
☸ — *आवुसो* !
*यह छ विञ्ञान के समुदाय (= काय) हैं* —
(1) *चक्खु-विञ्ञान*
(2) *श्रोत्र-विञ्ञान*
(3) *घ्राण-विञ्ञान*
(4) *जिह्वा-विञ्ञान*
(5) *काय-विञ्ञान*
(6) *मनो-विञ्ञान*
*सखा़रं-समुदय विञ्ञान-समुदय है!*
*सखा़रं-निरोध विञ्ञान-निरोध है।*
यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो* ॰1। ॰1।
📍“ठीक आवुस! ॰1”
📌 *आवुसो* ! ॰
सखा़रं को जानता है। ॰ समुदय, ॰ ॰।
तब आवुसो! *अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक factual follower)* ॰1।
🌸 क्या है आवुसो!
सखा़रं, (= क्रिया, गति) ॰ समुदय, ॰ ॰?—
आवुसो! यह तीन सखा़रं है—
(1) *कायसखा़रं* - काय-संस्कार,
(2) *वाचासखा़रं* - वचन-संस्कार,
(3) *चित्तसखा़रं* - चित्त-संस्कार,
*निरोध* है। यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो* ॰1। ॰1।📍“ठीक आवुस! ॰1”
📌 *आवुसो* !
॰ *अविज्जा meaning action reaction unknowingly* को जानता है, ॰ समुदय, ॰ ॰।
तब आवुसो! *अरिय सावक( #वास्तविक अनुगमक factual follower)* ॰1।
क्या है आवुसो *अविज्जा* , ॰ समुदय, ॰ ॰?
🔴 —आवुसो !
जो यह *दुःख के विषय में अविज्जा* ,
*दुःख समुदय के विषय में अविज्जा* , *दुःख-निरोध के विषय में अविज्जा* , *दुःख-निरोध-गामिनी प्रतिपद् के विषय में अविज्जा*
--- इसे *आवुसो* !
*अविज्जा meaning action reaction unknowingly* कहा जाता है।
*आस्रव-समुदय अविज्जा-समुदय है।*
*आस्रव-निरोध अविज्जा-निरोध है।*
यही *अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो* ॰1। ॰1।
📍“ठीक आवुस! ॰1”
🌺 है, *आवुसो* ! ॰
*आस्रव ( #चित्तमल) को जातना है*....०
॰ समुदय ॰ ॰।
तब आवुसो! अरियसावक ॰1।
क्या है आवुसो! आस्रव, ॰ समुदय ॰ ॰?—
*आवुसो* ! यह तीन आस्रव हैं—
(1) *काम-आस्रव* ,
(2) *भव-आस्रव* ( #पुनब्भव )
(3) *अविज्जा-आस्रव।*
*अविज्जा-समुदय आस्रव-समुदय है*
*अविज्जा-निरोध आस्रव-निरोध है।*
*यही अरिय अट्ठङ्गिको मग्गो* ॰1।
📌 इतने से आवुसो !
*अरिय सावक* ( #वास्तविक अनुगमक
factual follower)
**सम्मादिट्ठी(Equanimous View / Perfect view ; ठीक सिद्धांत वाला) होता है, उसकी दिट्ठी सम्यक् (होती है), वह धम्म मे अत्यन्त *सद्धावान( #faithful with Knowledge)* , (और) इस संद्धर्भ को प्राप्त होता है।”
🌺 *आयुष्मान् सारिपुत्त* ने यह कहा, सन्तुष्ट हो उन *भिक्खुओं* ने आयुष्मान सारिपुत्त के *धम्मदेशना* का *साधु अनुमोदन* किया।
*साधु साधु साधु* ! 🙏🙏🙏
📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌
*परिशिष्ट (Appendix)*
🔴 १-*अविज्जा* (=५२चेतसिक विञ्ञान में से एक ,जो कि चित्त-विञ्ञान के सहगत रहता है और जिसका काम है ढंकना अथवा तथ्य को छुपाना)
के *पच्चया(=assimilation)* अर्थात कारण से
*सङ्खारा/संखारा* (=impressions into consciousness) उत्पन्न होते हैं ।
🔴 २-*सङ्खारो/संखारो* ( #संस्कारों) के *पच्चया( #assimilation)* से *विञ्ञान( #नया चैतन्य तत्व ,new conscious waves)*,
🔴 ३- *विञ्ञान* ( #conscious waves ) के *पच्चया( #assimilation)* से *नाम-रूप*
🔴 ४- *नाम-रूप( #body & mind)* के *पच्चया( #assimilation)* से *सळायतन* ( #षडायतन,six organ system of body)
🔴 ५- *सळायतन के पच्चया* (#assimilation) से *फस्स* (#स्पर्श)
🔴 ६- *फस्स के पच्चया* ( #assimilation) से *वेदना* (=sensations of pleasure ,pain & neutral)
🔴 ७- *वेदना के पच्चया*
( #assimilation) से *तण्हा* (=libido,तृष्णा)
🔴 ८- *तण्हा* (libido) के *पच्चया(=assimilation)* *उपादान* (=आसक्ति,addiction),
🔴 ९- *उपादान के पच्चया* (=assimilation) से *भव(=happening, changing to new)*
🔴 १०- *भव(=changing to new) के पच्चया(=assimilation) से *जाति* (=new form, new stage of body&mind )*
🔴११- *जाति के पच्चया*(=assimilation) से *जरा मरणं, सोक, परिदेव, दुक्ख दोमनस्सुपायासा* (बुढा़पा, मृत्यु, शोक, परिदेव, दु:ख-दौर्मनस्य एवं उपायास) उत्पन्न होते हैं।
इस प्रकार इस समस्त *दुक्ख-खन्ध(रूपनाम ,body&life) का समुदय ( #पुराने का नया उत्पाद) होता है।*
🌺पटिच्चसमुप्पाद भव चक्क🌺
अविज्जा
🔄 🔄
संखा़र जरा-मच्चु
🔃 🔃
विञ्ञान जाति
🔃 🔃
नामरूप भव
🔃 🔃
षडायतन उपादान
🔃 🔃
फस्स तण्हा ((libido)
🔄 🔄
वेदना
(Sensations)
📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌📌
🌺 *साधु साधु साधु* ! 🙏🙏🙏
☸ *धम्म चक्क गतिमान* ! ☸
⚜ *जय मङ्गल धम्म* ! ⚜
☸ *नमो बुद्धाय* ! 🙏🙏🙏
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