कुछ माह पूर्व zenhabits.net पर एक पिता का भाव-पूर्ण पत्र अपने तीन सालाना पुत्र के लिये छपा था। नीचे इस पत्र का हिन्दी अनुवाद करने का प्रयास किया है।
कुछ माह पूर्व www.zenhabits.net पर एक पिता का भावपूर्ण पत्र अपने तीन साल के पुत्र के लिये छपा था । लियो बाबूटा ( Leo Babuta ) का आभारी रहूगाँ जिनकी अनुमति से इस पत्र का हिन्दी अनुवाद रखने का प्रयास किया है ।
प्रिय सेठ,
अभी सिर्फ़ तुम तीन साल के ही हो और मै समझता हूँ कि जिदंगी के इस मुकाम पर जहाँ तुम पढ और समझ भी नही सकते हो , यह बातें तुम्हें अभी समझ मे नही आयेगीं । लेकिन मैने अपनी जीवन मे जो सीखा है उसे तुम्हें बताना और साझा करना जरुरी समझता हूँ । तुम्हारा जीवन आने वाले सालों मे उतार चढाव के परीक्षण के लिये तैयार हो सके , ऐसी मेरी इच्छा है ।
जीवन के इस राह मे कई तरह के उतार चढाव आयेगें , दु:ख , दर्द , अकेलेपन का एहसास , जुदाई का गम , संघर्ष की विषम राह ; मै दिल से चाहूगाँ कि तुम इन उतार चढाव के लिये तैयार रहो । जीवन एक अदभुध मंच है इसलिये हर हाल मे तुमको इस अमूल्य जीवन के लिये आभारी होना पडॆगा ।
जीवन बहुत क्रूर भी हो सकता है
ऐसे लोग भी जीवन मे मिलेगें जो तुम से चिढेगें , तुमसे नफ़रत करेगें और यहाँ तक चोट तक पहुँचा सकते हैं । ऐसे लोगॊ के साथ अधिक कुछ भी नही किया जा सकता बस इतना ही कि उनसे दूर रहने के उपाय तुमको स्वयं ही खोजने होगें और साथ ही मे ऐसे मित्रॊं का भी चुनाव भी करना पडेगा जो तुमसे निस्वार्थ वास्ता रखें , और ऐसे मित्र जब तुम्हें मिल जायें तब उनको तुम उनसे गले लगाना और दिल से प्रेम करना ।
जीवन मे ऐसे भी पल आयेगें जहा सफ़लता की जगह निराशा हाथ लगेगी । जीवन हमेशा हमारे हिसाब से नही चलता , यह तुमको सीखना पडेगा । अपने सपनों को सच करने के लिये उन असफ़लताओं को स्वीकारना पडेगा और जीवन के उन नकारत्मक क्षण को सकरात्मक क्षणॊं मे बदलना पडेगा ।
यह भी हो सकता है कि तुम जिनसे प्यार करते हो वह तुम्हारा दिल तोडकर चले जाये , मै बिल्कुल नही चाहता कि ऐसा हो लेकिन अगर ऐसा होता है तो अपने को वक्त के हाल पर छोड कर निशिचित हो जाना । जीवन मे आने वाले हर दर्द जिदंगी को बेहतर बनाने की एक सीढी है , यह तुमको समझना ही पडेगा ।
लेकिन चाहे जो कुछ भी हो जितनी भी तकलीफ़ें रास्ते मे आयें अपने दृष्टिकोण जीवन के प्रति सहज रखना । कभी भी जीवन से भागना और मुँह मोडना नही बल्कि नये लोग और नये अनुभवों से अपने को जोडते चलना ।
यह हो सकता कि तुम्हारा दिल दस बार टूटे लेकिन संभव है कि ११ र्वें बार शायद मिलने वाली तुम्हारी मित्र तुम्हारे जीवन को उजाला कर दे । अगर तुम प्यार को अपने जीवन से दूर रख दोगे तो शायद इस खुशगवार लम्हों को भी खो दोगे ।
ऐसा भी हो सकता है कि तुम्हारे कई मित्र तुम्हें धोखा दें लेकिन कई चोटॊं के बाद यह संभव है कि तुम्हें वह सच्चा मित्र मिल जाये जो निस्वार्थ तुमसे संबध रखे ।
यह हमेशा याद रखना कि असफ़लता सफ़लता की प्रथम सीढी है । हो सकता कि तुम कई बार विफ़ल हो लेकिन अगर उन विफ़लताओं पर तुम रुक गये तब तुम उन ऊँचाइयों को छूने से हमेशा वंचित रह जाओगे ।
जीवन प्रतियोगिता नहीं है
तुम्हारे जीवन मे हो सकता है कि ऐसे कई लोग मिलें जो तुमसे आगे निकलने की कोशिश करें , ऐसे लोग स्कूल , कालेज और काम करने के दौरान भी मिल सकते हैं ; उनके पास बढिया महँगी गाडियाँ होगी , बडे घर होगें और एक से एक महँगे सामान होगें । हाँ , उनके लिये जीवन एक प्रतियोगिता है । लेकिन इस रहस्य को हमेशा याद रखना कि जीवन प्रतियोगिता नहीं बल्कि एक यात्रा है । अगर यह यात्रा दूसरों को प्रभावित करने के लिये कर रहे हो तो समझ लो कि तु्म सिर्फ़ समय को बरबाद कर रहे हो । इसलिये इस यात्रा को खुशियों की यात्रा बनाओ और लगातार सीखने का प्रयत्न करो । इससे कुछ भी अन्तर नही पडता कि तुम्हारे पास बडी –२ गाडियाँ और बडॆ घर है या नही , शायद यह एक दिन आ भी जायें लेकिन यह तुम्हें असल खुशी नही दे सकते ; यह तुम्हें सिर्फ़ क्षणिक सन्तुष्टि दे सकते हैं । एक बात और याद रखना कि जिस काम या रोजगार को तुम बोझ सनझो उसको लेकर जीवन बरबाद न करो ।
सिर्फ़ प्यार ही प्रथामिकता हो
एक शब्द के सहारे अगर तुम पूरा जीवन आंनदमय होकर निकाल सकते हो तो वह शब्द प्यार है । मै समझता हूँ कि यह तुम्हें अजीब सा लगेगा लेकिन मुझ पर विशवास रखो इससे बेहतर फ़लसफ़ा जिदंगी का कुछ और नही हो सकता । हाँ , कुछ लोग कामयाबी को ही जिदंगी का मत्र मानते हैं , शायद वह कामयाब रहते भी हों लेकिन पास जा कर देखो कि उनकी जिदंगी कितनी तनावपूर्ण और चिंताग्रस्त रहती है । कुछ ऐसे भी हैं जो हमेशा लालच मे रहते हैं -अपनी आवशयकताओं को दूसरे को देख कर बढाते रहते हैं ; ऐसे लोग अकेलेपन की जिंदगी जीते हैं और दु:खी रहते हैं ।
अपना जीवन प्यार के सहारे जियो ; अपनी पत्नी , बच्चों , मात -पिता और मित्रों से प्रेम करॊ । उनको वह सब प्यार दो जिनकी उनको आवशयकता है । अपना ह्रदय उनके लिये खोल दो । प्रेम सिर्फ़ परिचितों से नही बल्कि अपरिचितों और अपने विद्रोहियों से भी करो । जिससे भी मिलो उसको एक मीठी मुस्कान , चन्द मीठे शब्दों से स्वागत करो । जो शख्स तुमसे सबसे अधिक बैर रखता हो उससे भी प्रेम से मिलो शायद सबसे अधिक इसी शख्स को तुम्हारी आवशयकता है ।
तुम्हारी इस अदबुध यात्रा मे मै हर समय तुम्हारे साथ हूँ ।
प्यार ,
तुम्हारा
पापा
प्रिय चिंतन,
ReplyDeleteयह बहुत सुखद आश्चर्य है की मैंने कल रात ही इसे इंग्लिश में पढ़ा और अनूदित करने का सोचा. यदि तुम्हें कोई समस्या न हो तो मैं इसे यहाँ से कॉपी करके अपने ब्लौग पर पुनः प्रस्तुत करना चाहूँगा.
एक बात और, मैंने तुम्हारे अप्रतिम ब्लौग को अपने ब्लॉगरोल में लगा लिया है.
नही निशांत भाई , मुझे कोई समस्या नही नही है , अवशय कापी करें ..
ReplyDeleteचिंतन
धन्यवाद चिंतन. मैंने पहले भी लियो की पोस्टें कुछ सम्पादन के साथ पोस्ट की हैं. इसे मैंने तीन तारिख के लिए शेड्यूल किया है.
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