Wednesday, November 16, 2011

बीते हुये का शोक कैसा …… वर्तमान मे रहो …वर्तमान मे जियो !!

shraavastI

ऐसा  सुना जाता है कि एक समय भगवान बुद्ध श्रावस्ती मे अनाथपिणिक के जेतवन आराम मे विहार कर रहे थे । तब कोई देवता रात बीतने पर अपनी चमक से सारे जेतवन को चमकाते हुये आया और भगवान बुद्ध का अभिवादन कर के एक और खडा हो गया ।

एक ओर खडा हो कर वह देवता भगवान से बोला ,

“ जंगल मे विहार करने वाले ब्रह्म्मचारी तथा एक  बार ही भोजन करने वालों का चेहरा कैसे खिला रहता है ? ”

शास्ता ने कहा ,

बीते हुये का वे शोक नही करते ,

आने वाले पर बडे मनसूबे नही  बाँधते ,

जो मौजूद है उसी से गुजारा करते हैं ;

इसी से उनका चेहरा खिला रहता है ॥

आने वाले पर बडे मनसूबे बाँध,

बीते हुये का शोक करते रह ,

मूर्ख लोग फ़ीके पडे रहते हैं ,

हरा नरकट ( ईख )जैसे कट जाने पर ॥                         

 

    संयुत्तनिकायो -१०. अरञ्‍ञसुत्तं                                                          

 

1 comment: