यह एक स्तूप है, जो तवांग कस्बे से 90 किमी दूर है। खास बात यह है कि यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा स्तूप है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तूप का निर्माण 12वीं शताब्दी के आरंभ में एक मोनपा संत लामा प्राधार द्वारा किया गया था। यह एक अर्ध-वृत्ताकार गुंबदनुमा संरचना है, जिसका ऊपरी हिस्सा नुकीला है। यह तीन चबूतरे वाले स्तंभ पर टिका हुआ है। इस स्तूप के चार लघु रूप को तल के सबसे निचले चबूतरे के चारों कोणो पर स्थापित किया गया है। स्तूप तक एक फुटपाथ भी बनाया गया है, जिससे तीर्थ यात्री प्रार्थना करने के लिए पहुंचते हैं।
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