।।स्वर्ग-नरक।।
-राजेश चन्द्रा-
-राजेश चन्द्रा-
जापान के सुप्रसिद्ध ज़ेन गुरु हुए हैं हकुईन। जापानी ज़ेन परम्परा में हकुईन सर्वाधिक पूजनीय गुरुओं में से एक हैं।
एक दिन एक विख्यात सामुराई, तलवारबाज, नोबूशिगे गुरु हकुईन के दर्शन करने आया। उसने गुरु के सम्मुख सिर झुका कर अभिवादन किया। अभिवादन के उपरान्त उसने अपने मन की एक जिज्ञासा व्यक्त की- क्या सच में स्वर्ग और नरक होते हैं?
यह सुन कर गुरु हकुईन ने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?
'नोबूशिगे'
'करते क्या हो?'
'जी, मैं सामुराई हूँ, तलरवारबाज'
'सामुराई!', हकुईन ने विस्मय से पूछा,' तुम्हें सामुराई किसने बना दिया? तुम्हारा चेहरा तो भिखारियों जैसा है!' यह सुनते ही नोबूशिगे का चेहरा तमतमा गया और उसका हाथ अपनी तलवार की मूठ पर गया।
हकुईन ने कहा- अच्छा, तो तुम्हारे पास तलवार भी है! लेकिन दुनिया की कोई तलवार हकुईन की गर्दन नहीं काट सकती।
नोबूशिगे ने तलवार म्यान के बाहर निकाल ली।
हकुईन मुस्कराए, कहा- देखो, नरक का द्वार खुल गया।
सामुराई को अहसास हो गया कि यह गुरु का अपना तरीका है उसके सवाल का जवाब देने का। उसने शर्मिन्दा होकर तलवार अपनी म्यान में सरका ली और सिर झुकाया जैसे कि क्षमा मांग रहा हो।
हकुईन फिर मुस्कराए, कहा- देखो, स्वर्ग का द्वार खुल गया।
नोबूशिगे अपने प्रश्न का उत्तर पा चुका था।
एक दिन एक विख्यात सामुराई, तलवारबाज, नोबूशिगे गुरु हकुईन के दर्शन करने आया। उसने गुरु के सम्मुख सिर झुका कर अभिवादन किया। अभिवादन के उपरान्त उसने अपने मन की एक जिज्ञासा व्यक्त की- क्या सच में स्वर्ग और नरक होते हैं?
यह सुन कर गुरु हकुईन ने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?
'नोबूशिगे'
'करते क्या हो?'
'जी, मैं सामुराई हूँ, तलरवारबाज'
'सामुराई!', हकुईन ने विस्मय से पूछा,' तुम्हें सामुराई किसने बना दिया? तुम्हारा चेहरा तो भिखारियों जैसा है!' यह सुनते ही नोबूशिगे का चेहरा तमतमा गया और उसका हाथ अपनी तलवार की मूठ पर गया।
हकुईन ने कहा- अच्छा, तो तुम्हारे पास तलवार भी है! लेकिन दुनिया की कोई तलवार हकुईन की गर्दन नहीं काट सकती।
नोबूशिगे ने तलवार म्यान के बाहर निकाल ली।
हकुईन मुस्कराए, कहा- देखो, नरक का द्वार खुल गया।
सामुराई को अहसास हो गया कि यह गुरु का अपना तरीका है उसके सवाल का जवाब देने का। उसने शर्मिन्दा होकर तलवार अपनी म्यान में सरका ली और सिर झुकाया जैसे कि क्षमा मांग रहा हो।
हकुईन फिर मुस्कराए, कहा- देखो, स्वर्ग का द्वार खुल गया।
नोबूशिगे अपने प्रश्न का उत्तर पा चुका था।
श्री राजेश चन्द्रा - एक परिचय
आप एक सक्रिय समाज सेवी , धम्म प्रचारक व ध्यान प्रशिक्षक भी हैं ।
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