आनापानसति सुत्त जारी भाग-२,
आनापानसति-विधि !
118. आनापानसति-सुत्त
- उपरि-पण्णासक-
(मज्झिमनिकाय)
-आनापानसति-विधि-
🌳
" भिक्खुओं !
किस प्रकार भावना=बहुलीकरण करने पर, आनापानसति महाफलप्रद=महानृशंस्य होती है?—
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भिक्खुओं !
भिक्खु अरण्य, वृक्ष-मूल या शून्यागार में बैठता है, आसन मार, काया को सीधा रख, सति (=स्मृति) को सन्मुख, उपस्थित कर,
वह स्मृतिपूर्वक श्वास लेता है,
स्मृतिपूर्वक श्वास छोड़ता है।
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दीर्घ श्वास लेते समय—‘दीर्घ श्वास ले रहा हूँ’—जानता है।
दीर्घ श्वास छोडते समय—‘दीर्घ श्वास छोड़ रहा हूँ’—जानता है। -१
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ह्रस्व-श्वास लेते समय—‘ह्रस्व श्वास ले रहा हूँ’—जानता है।
ह्रस्व-श्वास छोडते समय—‘ह्रस्व श्वास छोड़ रहा हूँ’—जानता है। -२
🔹
सारी काया (की स्थिति) को अनुभव करते श्वास लूँगा—सीखता है।
सारी काया (की स्थिति) को अनुभव करते श्वास छोडूँगा—सीखता (=अभ्यास करता) है। -३
🔹
कायिक संस्कारों (=हर्कतों, क्रियाओं) को रोक कर श्वास लूँगा—अभ्यास करता है।
कायिक संस्कारों (=हर्कतों, क्रियाओं) को रोक कर श्वास छोडूँगा—अभ्यास करता है। -४
🔹
प्रीति-अनुभव करते आश्वास (=श्वास लेना) लूँगा—अभ्यास करता है।
प्रीति-अनुभव करते प्रश्वास (=श्वास छोडना) छोडूँगा—अभ्यास करता है। -५
🔹
सुख-अनुभव करते आश्वास (=श्वास लेना) लूँगा—अभ्यास करता है।
सुख-अनुभव करते प्रश्वास (=श्वास छोडना) छोडूँगा—अभ्यास करता है। -६
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चित्त-संस्कारों (=चित्त की क्रियाओं) को अनुभव करते आश्वास लूँगा’— अभ्यास करता है।
चित्त-संस्कारों (=चित्त की क्रियाओं) प्रश्वास छोडूँगा— अभ्यास करता है। -७
🔹
चित्त-संस्कार को रोक कर आश्वास लूँगा— अभ्यास करता है।
चित्त-संस्कार को रोक कर प्रश्वास छोडूँगा— अभ्यास करता है। -८
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चित्त को अनुभव करते आश्वास लूँगा— अभ्यास करता है।
चित्त को अनुभव करते प्रश्वास छोडूँगा— अभ्यास करता है। -९
🔹
चित्त् को प्रमुदित करते आश्वास लूँगा— अभ्यास करता है।
चित्त् को प्रमुदित करते प्रश्वास छोडूँगा— अभ्यास करता है। -१०
🔹
चित्त को समाहित करते आश्वास लूँगा— अभ्यास करता है।
चित्त को समाहित करते प्रश्वास छोडूँगा— अभ्यास करता है। -११
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चित्त को विमुक्त करते आश्वास लूँगा— अभ्यास करता है।
चित्त को विमुक्त करते प्रश्वास छोडूँगा— अभ्यास करता है। -१२
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(सभी वस्तुओं/धर्मों के) अनित्य (होने) का ख्याल करते आश्वास लूँगा— अभ्यास करता है।
(सभी वस्तुओं/धर्मों के) अनित्य (होने) का ख्याल करते प्रश्वास छोडूँगा— अभ्यास करता है। -१३
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(सभी वस्तुओं/धर्मों के) विराग का ख्याल करते आश्वास लूँगा— अभ्यास करता है।
(सभी वस्तुओं/धर्मों के) विराग का ख्याल करते प्रश्वास छोडूँगा— अभ्यास करता है। -१४
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(सभी वस्तुओं/धर्मों के) निरोध का ख्याल करते आश्वास लूँगा— अभ्यास करता है।
(सभी वस्तुओं/धर्मों के) निरोध का ख्याल करते प्रश्वास छोडूँगा— अभ्यास करता है। -१५
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(सभी वस्तुओं/धर्मों के) प्रतिनिस्सर्ग (=त्याग) का ख्याल करते आश्वास लूँगा— अभ्यास करता है।
(सभी वस्तुओं/धर्मों के) प्रतिनिस्सर्ग (=त्याग) का ख्याल करते प्रश्वास छोडूँगा— अभ्यास करता है। -१६
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भिक्खुओं !
इस प्रकार भावित=बहुलीकृत आनापानसति महाफलप्रद=महानृशंस होती है। "
- सुत्त जारी
- श्रंखला जारी
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