एक जेन छात्र ने अपने गुरु से पूछा .“ क्या जेन ध्यान का मकसद स्वर्ग प्राप्ति की अभिलाषा है ? “
उसके गुरु ने कहा , “ नहीं “
“ तो क्या जीवन की परेशानियाँ और अंशाति से बचने का उपाय जेन ध्यान मे है ? ”
गुरु ने कहा , “ बचना कैसा ? “ जेन वास्तविकता को उसी रुप में स्वीकार करने की कला है । ”
John Weeren की जेन कहानी “ escape “ का हिन्दी अनुवाद
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