डां के. श्री. धम्मानन्द जी की यह लघु पुस्तिका ’ बौद्ध विनय एवं आचरण ’ उनकी अंगेजी मे लिखी ’ Moral & Ethical conduct of a Buddhist ‘ का हिन्दी मे अनुवाद है । डां श्रीमती इन्दु अग्रवाल ने इस पुस्तिका का सुरुचिपूर्ण भाषा मे प्रवाहमेय अनुवाद किया है और हमेशा की तरह श्री राजेश चन्द्रा जी ने इस पुस्तिका का उत्कृष्ट रुप से संपादन किया है ।
गत सप्ताह मेरे अभिग्न मित्र श्री राजेश जी ने मुझे दो पुस्तिकायें भेटं स्वरुप दी । पिछ्ले काफ़ी समय से हम नेट के माध्यम से जुडे रहे लेकिन अधिक व्यवस्सता के कारण मिलना संभव न हो पाया । गत सप्ताह यह मिलन आकस्मिक और बहुत ही सुखद पूर्ण रहा । पिछ्ले साल श्रावस्ती भ्रमण के दौरान जिस तरह वह मेरे साथ फ़ोन के माध्यम से लगातार सुबह से रात तक जुडे रहे उससे मुझे कही नही लगा कि हम दोनों मे पूर्व का परिचय नही है ।
लेकिन बात पहले ’ बौद्ध विनय एवं आचरण ’ की । डां के. श्री. धम्मानन्द जी इस पुस्तिका का केन्द्रीय विषय बौद्धों की आचरण नियमावली है । यह पुस्तिका न सिर्फ़ भिक्खुओं के लिये उपयोगी है बल्कि उपासकों के लिये भी लाभकारी है । जनमानस को भगवान बुद्ध का यही संदेश मिलता है “ सत्कर्म करो , शुद्ध विचार रखो और दुषकर्म से दूर रहो । ” बुद्ध के समय मे भी ये शब्द उतने ही सच थे जितने आज हैं और कल भी रहेगें ।
इस पुस्तिका की scanned image बहुत ही उत्कृष्ट quality की नही है लेकिन जैसे ही यह सिगांपुर से श्री टी वाई ली की साइट पर उपलोड होगी तब उसका डाउनलोड लिंक यहाँ उपलब्ध करा दिया जायेगा ।
डाउनलोड लिंक : http://www.box.com/s/lcp84ip2t6cg676j5rs9
बौद्ध नियम एवं आचरण
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