Saturday, January 5, 2013

ध्यान , मन और पानी की लहरें

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इन्सान का मन तालाब के जल की तरह है । इसमें उत्पन्न हो रहे बैचेन विचार पानी में फ़ेंके गये कंकड की तरह हैं । यह विचार मन की शांत सतह पर लहर के रुप मे आ कर उद्देलित  कर जाते हैं । जब पानी इन बैचेन विचारों से उद्देलित रहता है तब हम स्पष्ट रुप से पानी की तलहटी को नही देख पाते । यह पानी की तलहटी हमारे भीतर के ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती है ।  लेकिन अगर हम इन बैचेन विचारों पर अंकुश लगाते हैं तब हम स्पष्ट रुप से शांत पानी को नीचे तक देख सकते हैं , वह जगह जहाँ हमारा प्रबुद्ध स्व रहता है ।

                                                              -  डा. नील नीमार्क

The mind is likened to a pond of water. Restless thoughts are like pebbles thrown into the water. They send out a ripple of activity, disturbing the tranquil surface. When the water is constantly agitated with restless thoughts, we cannot see clearly to the bottom of the pond, which represents our inner wisdom. When we stop the restless thoughts, we calm the waters, enabling us to see clearly to the bottom—where our wisest, most enlightened self resides. -Dr. Neal F. Neimark, M.D.

courtesy : Meditation, Medication and Psychological Disorders.

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