Sunday, September 14, 2014

बुद्ध धम्म क्या है ?


कहते है कि चीन के सम्राट वू ने विनयपूर्वक आचार्य बोधिध्म्म से जिज्ञ्यासा कि बुद्ध धम्म क्या है ? आचार्य बोधिध्म्म  ने धम्मपद की एक गाथा का संगायन किया :

सब्बपापस्स अकरणं, कुसलस्स उपसम्पदा [कुसलस्सूपसम्पदा (स्या॰)]।

सचित्तपरियोदपनं [सचित्तपरियोदापनं (?)], एतं बुद्धान सासनं॥

सब बुराइयों से दूर रहो ..अच्छाइयाँ पैदा करने की कोशिश करते रहो …मन मस्तिष्क की शुद्ध्ता रखॊ । यही बुद्ध का शासन है अर्थात बुद्ध धम्म है ।

सम्राट वू को बड़ी व्याख्या की उम्मीद थी । इतने संक्षेप में बुद्ध धम्म को सुन कर उसने हैरानी से कहा - बुद्ध धम्म इतना सरल है ? इसे तो पांच वर्ष का बच्चा भी समझ सकता हसी लेकिन अस्सी साल का वृद्ध भी यह दावा नही कर सकता की वह धम्म जीवन जी रहा है ।
बोधिध्म्म के कथन ने  अस्सी वर्षीय सम्राट को धम्म के प्रति अंतर्दृष्टि दी ।

Friday, September 12, 2014

भविष्यवक्ता - “ Predicting the future ”

All is well
हममे से अधिकतर लोग अपने भविष्य को जानने की उत्सुकता रखते हैं । इसके  लिये हम से कुछ अति शंकालु लोग  भविष्यवक्ताओ और ज्योतिषयों  से समय समय पर मदद लेते रहते हैं । थाइलैंड मे  निवास के दौरान मैने देखा कि भिक्षुओं की भी गिनती भविष्यवक्ताओं के रुप मे भी  होती है । लेकिन व्यवाहारिक रुप से अधिकतर भिक्षु इनसे दूर ही रहना पसंद करते हैं ।
मेरे गुरु अजह्न्ह शाह को कई शक्तियाँ प्राप्त थी । अधिकतर उनकी कही बाते पत्थर में खींची  लकीरो की तरह ही होती । एक दिन अजह्न्ह के एक पुराने शिष्य ने उनसे अपना भविष्य बताने पर जोर दिया । अजह्न्ह ने हमेशा की य्तरह उसको मना किया । लेकिन वह जानेको तैयार नही हुआ । उसने अजहन्ह को याद दिलाया कि उसने कितनी बार उस मठ की मदद की थी और  कितनी बार अपने महत्वपूर्ण कार्यों को छोडकर वह अजन्ह को लेकर जगह –२ घूमा था ।
अजह्न्ह ने जब देखा कि वह टलने वाला नही है तो उन्होने उससे कहा , “ अपना हाथ आगे करो । मै तुम्हारी हाथॊ की लकीरों को देखना चाहता हूँ । “
वह तो बहुत ही हर्ष मे पड गया । लेकिन सबसे मजे की बात यह थी कि अजह्न्ह ने इसके पहले किसी का हाथ कभी भी देखा भी नही था । अजह्न्ह बार अपनी ऊँगलियों को उसकी हथेली पर घुमाते और अपने आप बड्बडाते हुये कहते , “ आशचर्यजनक , अद्‌भुत !! “ बेचारे उनके शिष्य की धड्कने अनुमान लगाने मे लगी रही ।
अजहन्ह ने उसका हाथ देखना समाप्त किया और उससे बोले , “ इस तरह  तुम्हारा भविष्य अब सामने आ गया है और  मैरी भवीष्यवाणी कभी भी गलत नही होती ।  “
“हाँ , हाँ मै भी अपना भविष्य जानना चाहता हूँ कि वह कैसा होगा ?  “ शिष्य ने अधीरता से कहा ।
“ तुम्हारा भविष्य  बहुत ही अनिश्चित है |  “ अजह्न्ह यह कह कर चुप हो गये और उनका प्रिय शिष्य विस्मयपूर्ण नजरों से उनको देखता रह गया  ।
who odered this truckload of Dung
अजह्न्ह ब्रह्म की पुस्तक , “ Who ordered this trucload of Dung ? “ मे  से ली गई कहानी   “ Predicting the future ” का हिन्दी अनुवाद ।