अब स्तूप हो , ध्यान करने की उचित जगह तो ध्यान मुद्रा में बैठने का कैसे लोभ छोड दे भले ही वह फ़ोटॊ सेशन के लिये ही हो ऊपर मै स्वयं और नीचे मेरा पुत्र ‘आयुष’
गत अक्टबूर में पंचमढी में कुछ दिन बिताये । पचमढ़ी में आपके घूमने की शुरुआत पांडवों की गुफा से होती है। यहाँ कहते हैं कि महाभारत काल की मानी जाने वाली पाँच गुफाएँ है जिनको पांडव गुफ़ायें के नाम से भी जाना जाता है । लेकिन पुरातत्वविद मानते हैं कि ये गुफाएँ गुप्तकाल की हैं जिन्हें बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था। ( ऊपर देखें पुरातत्वविभाग का साइन बोर्ड ) । गुफ़ा क्रमांक तीन मॆ एक उत्कीर्ण अभिलेख है जिसमॆ लिखा है ‘ उत्कीर्ण भगवकेण ‘ अर्थात यह गुफ़ा भगवक नाम के व्यक्ति ने बनाई थी जो संभवत: बौद्ध भिक्षु था । इसके आधार पर इसका निर्माण गुप्त काल ( चौथी या पाँचवी शताब्दी ई. ) में हुआ होगा । इसके अलावा गुफ़ा क्रमांक नं. २ के सामने वाले भाग में साधारण चैत्य देखा जा सकता है । इसी के आधार पर संभवत: यह बौद्ध धर्म से संबधित हो सकती है ।
बहराल जो भी सच हो लेकिन यह एक बेहद दर्शनीय स्थल है जिसको मध्य प्रदेश टूरिज्म ने संर्क्षित किया है ।
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