चार संस्कृतियों का संगम रहा है यह स्थान
30 एकड़ है नालंदा का क्षेत्रफल
99 मीटर लंबे और 33 मीटर चौड़ाई में हुई है अंबारां में खोदाई
चिनाब नदी के किनारे अखनूर के पास अंबारां में कभी बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय और महाविहार से भी बड़ा महाविहार था। हालांकि, अभी इस पूरे इलाके की पूरी खोदाई होनी बाकी है। इस इलाके की भौगोलिक स्थिति बताती है कि यहां कई प्राचीन संस्कृतियों और सभ्यताओं के अवशेष छिपे हैं।
यह स्थान इसलिए भी खास है कि यहां हुई खोदाई में विशेष किस्म की एक मंजूषा (कास्केट) मिली है। इसमें कुछ रत्नों के साथ ही किसी मनुष्य के अवशेष मिले हैं। इसमें राख और अस्थियों के कुछ टुकड़े हैं।
करीब डेढ़ दशक पहले भारतीय पुरातत्व सर्वे (एएसआई) द्वारा यहां की गई खोदाई में चार प्रमुख संस्कृतियों के अवशेष मिले हैं। इनमें प्री कुषाण काल ईसा पूर्व पहली शताब्दी, ईसा पूर्व पहली से तीसरी शताब्दी तक कुषाण काल, चौथी-पांचवीं सदी गुप्त काल और गुप्त काल के बाद छठवीं से सातवीं शताब्दी के अवशेष मिले हैं।
इनमें टेराकोटा की मूर्तियां, मास्क कुछ लोहे के औजार और कई स्तूपों के अवशेष मिले हैं। अगस्त 2014 में इस स्थान के महत्व को देखते हुए बौद्ध गुरु दलाईलामा भी यहां की यात्रा कर चुके हैं।
साभार : http://www.amarujala.com/jammu-and-kashmir/ambarn-buddhist-monastery-was-bigger-than-nalanda-monastery
Friday, May 13, 2016
जम्मू कश्मीर के अंबारां में था नालंदा से भी बड़ा बौद्ध महाविहार
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