Wednesday, August 7, 2013

बुद्ध के अस्थि अवशेष के प्रतिकृति अब लखनऊ के राज्य संग्राहालय में

buddha relics in lucknow

बुद्द के अवशोषलखनऊ का  राज्य संग्रहालय अब राजधानीवासियों को एक अमूल्य धरोहर के दर्शन कराने के लिए तैयार में है। यहां एक माह के लिए मंजूषा में भगवान बुद्ध के अस्थि-अवशेष की प्रदर्शनी बुधवार को अपराह्न् 3.30 बजे से लग रही है। यह अवशेष पिपरहवा में हुए उत्खनन में 18 मई 1898 में प्राप्त हुए थे।1पिपरहवा अब सिद्धार्थनगर नाम से जाना जाता है। यहां स्थित स्तूप अब तक का प्राचीनतम माना जाता है। सन 1898 में क्लैक्सटन पेपे द्वारा कराए गए उत्खनन में उन्हें पत्थर से निर्मित एक अस्थि-कलश प्राप्त हुआ जिसमें अस्थि अवशेषों के साथ-साथ सोने तथा बहुमूल्य पत्थरों से निर्मित तमाम वस्तुएं प्राप्त हुईं। इसका वास्तविक कलश कोलकाता स्थित इंडियन म्यूजियम में रखा गया है। लखनऊ में इसकी प्रतिकृति रखी है। इस कलश के ऊपर ब्राrी लिपि में लिखावट भी है। 1इस अभिलेख की विद्वानों द्वारा विभिन्न रूपों में व्याख्या की गई है।

अधिकांश विद्वानों के अनुसार इस अभिलेख की व्याख्या है-‘शाक्य कुल में उत्पन्न भगवान बुद्ध के इन अस्थि अवशेषों को इस कलश के अंदर रखकर सुकित ने अपने भाइयों, बहनों, पुत्रों व स्त्रियों सहित इसे प्रतिष्ठापित किया।’ इसकी भाषा में दीर्घ स्वरों का अभाव होने के कारण विद्वानों का अनुमान है कि यह अभिलेख अशोक के पूर्व अंकित किया गया होगा। खास बात यह है कि अभिलेख इतना संक्षिप्त है कि इसके आधार पर काल की कोई निश्चित धारणा नहीं बनाई जा सकती।
स्त्रोत : जागरण दिनाकं ७-८-२०१३

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