धम्मपद के हिन्दी अनुवाद का प्रयास काफ़ी विद्धानों ने किया है , कमेन्ट्री के रुप मे ओशो की पुस्तक ‘ एस धम्मो सनानतनो ’ निर्वाद रुप से प्रथम स्थान रखती है लेकिन धम्मपद को यथावत संगायन शैली ( chanting ) में और वह भी हिन्दी में लाने का श्रेय मित्र श्री राजेश चन्द्रा जी और श्री कमलवीर भास्कर साल्वे जी को देते हुये उन्हें साधुवाद देता हूँ कि उनके अथक प्रयास से यह संभव हो पाया । कुछ माह पूर्व जब राजेश जी ने इस प्रोजेक्ट के बारे मे फ़ोन से सूचना दी तो मन मे उठे उल्लास को मै छुपा न पाया । धम्मपद का संगायन सी.डी. के रुप में और वह भी हिन्दी में , यह लगा कि एक अधूरा स्वप्न पूरा होने जा रहा है । हिन्दू़ धर्म में जिस प्रकार श्री भगवद् गीता का महत्व है वैसे ही धम्मपद का महत्व बुद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिये भी है ।
गत माह सारनाथ में 21, 22 व् 23 जुलाई को मूलगंध कुटी विहार, में धम्मचक्क महोत्सव का आयोजन किया गया था जिसमें इस सी.डी. का विमोचन धमचक्रपरिवर्तन दिवस यानी दिनाकं २३ जुलाई को महाबोधि सोसायटी के प्रभारी श्री लंका के भन्ते सीवली थेरो ने किया ।
धम्मपद ग्रंथ त्रिपिटक के खु्द्धकनिकाय का अंग है , इसमॆद २६ वग्ग अथवा अध्याय हैं जिसमॆ ४२३ गाथायें हैं । गाथा का शाब्दिक अर्थ होता है गेय पद्ध अथवा जिस पद्ध का संगायन किया जा सके । धम्मपद की प्रत्येक गाथा गेय है । अधिकाशं बौद्ध देशों में आज भी धम्मपद के अंखड पाठ की परम्परा जीवित है । श्री लंका मे धम्मपद के परायण के बगैर भिक्खु की उपसम्पदा नही होती । कई बौद्ध देशों मे आज भी धम्मपद को कंठ्स्थ कराया जाता है ।
लगभग तीन घंटॆ से ऊपर की इस सम्पूर्ण धम्मपद की सी.डी. का संगायन कमलवीर भास्कर साल्वे और राजेश चन्द्रा जी की जुगल बंदी में राग कल्याण घाट के राग यमन और भोपाली में है ,संगायन में मूल स्वर पालि भाषा मे कमलवीर साल्वे और गाथाओं का हिन्दी अनुवाद मे राजेश चन्द्रा जी का है ।
इस सी. डी. के कापी राइट प्रथम क्रिएशन ,नई दिल्ली के पास है । इच्छुक व्यक्ति इसे मात्र १४०/ का दान देकर प्रथम क्रिएशन ,नई दिल्ली से अथवा श्री राजेश चन्द्रां जी ( :09415565633 ) से सीधे संपर्क कर के मँगा सकते हैं ।
Thanks a lot Sir
ReplyDeleteसर, धम्म पर किसी की कॉपीराईट नही. इसलिये धम्मपद पर भी नही. 'प्रथम क्रिएशन दिल्ली ' इसका अपवाद नही. ऐसा कोई व्यावसायिक संदर्भ नही देना चाहिये.
Deleteमेरा धम्मपद संगायन भी व्यवसाय हेतू बिलकुल नही है. धन महत्वपूर्ण है लेकीन वह शुद्ध दान के रूपमे रहे तो ठीक, वरना वह पुण्यबल खो देता है.
-कमलवीर
आदरणीय कमलवीर जी ,
Deleteआपने मुझे अनजाने मे किये अपराध बोध से बचा लिया । इस महत्वपूर्ण कार्य क मै यू ट्यूब पर अपलोड करना चाहता था जिसकी दो गाथाये अभी तक अपलोड भी की थी ( देखे Dhammapada - complete Hindi-Pali chanting ) लेकिन फ़िर कापीराईट के कारण इसका इरादा त्याग दिया ।