Sunday, January 18, 2015

कार्य–कारण का सिद्धांत ( The Law Of Karma )

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पशचिम मे बहुत से लोग कार्य-कारण के सिद्धांत को गलत ढंग से समझते हैं । अधिकतर लोग उसको भाग्यवाद से जोडते हैं जहाँ एक व्यक्ति या उसके  परिवार को उसका दंड उसकी पिछ्ली जिन्दगी मे किये अज्ञात गलत कर्मो के कारण  भोगना पडता है । जब कि ऐसा बिल्कुल भी नही है जैसे इस कहानी से स्पष्ट है ।

मैने सुना है कि दो औरतों मे केक बनाने की एक प्रतियोगिता हुयी ।

उनमे से पहली औरत के पास जो केक बनाने की सामग्री थी उसको देखकर यह बिल्कुल भी नही लग रहा था कि वह इस प्रतियोगिता के लायक है । पुराना सा दिखने वाला मैदा , कोलेस्ट्रॉल युक्त बासी मक्खन ,  गाँठ युक्त चीनी (   गीला चमच्च डाल देने के कारण ) , फ़लो के नाम पर थोडॆ बहुत सख्त किशिमिश। और   उसकी रसोई के तो कहने ही क्या , हर चीज अस्त – व्यस्त बिल्कुल विशव युद्ध की याद दिलाती हुई ।

दूसरी औरत  पहले औरत से बिलकुल विपरीत स्वभाव कीथी ।  सब कुछ व्यवस्थित , उच्च क्वालिटी की  सामाग्री ,  उच्च स्तर का मैदा , कोलेस्ट्रॉल रहित मक्खन , कच्ची चीनी और यहाँ तक कि रसीले दार फ़ल जो उसने अपनी बगिया मे उगाये थे । उसकी रसोई एक मिसाल थी , सारे मार्ड्न गैजडस उसकी रसोई मे मौजूद थे ।

बता सकते हैं कि किस औरत ने सबसे अच्छी केक बनाई ?

यह आवशयक नही कि जिस व्यक्ति के पास  उच्च स्तर की सामग्री हो वह ही बेहतर केक बना सकता है । केक बनाने के लिये सामग्री से अधिक कला , समर्पण और प्रयास की जरुरत पडती है । इसलिये  निम्म क्वालिटी की सामग्री होने के बावजूद वह औरत अधिक बेहतर केक बना पायी जिसके पास यह तीन बहूमूल्य वस्तुयें  थी ।

मेरे कुछ मित्र है जिनकी जिन्दगी मे सब कुछ अस्त व्यस्त था । वह गरीबी मे पैदा हुये , बचपन उनका बहुत ही कठिन बीता , लोगॊ से ताने सहे और यहाँ तक गालियाँ भी खाई , उनकी तालीम या तो हुई नही और कुछ तो पढने मे साधारण से रह गये , और इनमें  से कुछ तो बेचारे विकलांग भी थे जिनके लिये खेल कूद बहुत दूर की चीज थी । लेकिन इसके बावजूद भी उनमे ऐसे गुण थे जिसकी वजह से वह अपनी जिन्दगी बना पाये । क्या आप ऐसे व्यक्तियों की पहचान कर सकते है ?

मेरे कुछ   ऐसे मित्र भी हैं जिनके पास सब कुछ था , धनाढय परिवारों मे पैदा हुये , ऐशवर्य सी जिन्दगी पाई , पढाई मे बहुत ही काबिल रहे , बढिया खिलाडी भी  थे और स्मार्ट भी  लेकिन उन्होने अपनी जिन्दगी नशा ,  शराब और जुये जैसे व्यसनो मे बरबाद कर दी । क्या आप ऐसे लोगो की पहचान कर सकते हैं ?

कर्म का आधा हिस्सा वह सामाग्री है जिनके जरिये हमे कार्य करना है और आधा हिस्सा , जो जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है कि  उसके जरिये हम क्या करना चाहते हैं ।

कर्म को बीज के रुप मे भी देख सकते हैं । चयन आपके हाथॊ मे है  कि जीवन मे आप कौन से बीज बोयेगें ।

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अजह्न्ह ब्रह्म की पुस्तक , “ Who ordered this truckload of Dung ? “ मे  से ली गई कहानी   “ the Law of Karma ” का हिन्दी अनुवाद ।

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