कुछ आकांक्षायें अनायास ही पूरी हो जाती है । आज से लगभग चार साल पहले मैने राजेश चन्द्रा जी के सामने अपनी तीन इच्छाओं का जिक्र किया । उनमे से एक हिन्दी मे एक उत्कृष्ट बुद्ध पत्रिका , धम्मपद की गाथाओं का पालि –हिन्दी मे संगायन , लखनऊ में एक ऐसा शिक्षा केन्द्र जिसमे बौद्ध साहित्य और पालि भाषा का पठन-पाठन हो और लखनऊ मे एक भव्य पगोडा का निर्माण । और संयोग देखिये इन्मे से पहली तीन इच्छायें अनायस ही मिल गयी ।
किसी भी धर्म के साथ उसकी उत्भव भाषा के महत्व को नकारा नही जा सकता । लेकिन बहुत ही कम धर्म अनुयायी है जिन्होने अपनी भाषा को न केवल बचाया बल्कि उसके पुनर्थान मे भी कोई कसर नही छॊडी। भारत मे उर्दू और अरबी के विकास और संरक्षण मे अपने मुस्लिम धर्म के अनुयायियों को साधुवाद जिनके प्रयास से यह भाषाये भारत मे जीवित ही नही बल्कि फ़ल फ़ूल भी रही है ।
पालि भाषा को बौद्ध त्रिपटक की भाषा के रुप मे भी जाना जाता है । पालि भाषा का इतिहास बुद्ध काल से शुरु होता है । भगावन् बुद्ध अपनी शिक्षाओं के माध्यम के लिए विद्वानों की भाषा संस्कृत के विरुद्ध थे और अपने अनुयायियों को स्थानीय बोलियों के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करते थे, इसलिए बौद्ध धर्म शास्त्रीय भाषा के रूप में पालि भाषा का उपयोग शुरू हुआ। धीरे-धीरे उनके मौखिक उपदेश भारत से श्रीलंका तक लगभग तीसरी शताब्दी ई.पू. पहुंचे, जहां उन्हें पालि भाषा में लिखा गया, जो देशी मिश्रित मूल की साहित्यिक भाषा थी। अंतत: पालि एक समादृत, मानक और अंतर्राष्ट्रीय भाषा बन गई।
अंतराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान , गोमती नगर , लखनऊ– पालि भाषा और बौद्ध साहित्य के संरक्षण की सराहनीय पहल
अंतराष्ट्रीय बौद्ध विधा शोध संस्थान की स्थापना संस्कृति मामलों के विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित की गई है । लगभग ५ साल पहले उत्तर प्रदेश की भूतपूर्व मुख्य मंत्री सुश्री मायावती जी ने इस संस्थान का लोकार्पण किया था । इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म के मुख्य घटक जैसे धर्म, दर्शन, कला, संस्कृति, वास्तुकला और साहित्य का अध्ययन और संरक्षण है ।
इस संस्थान के प्रबन्ध निदेशक डा. योगेन्द्र सिहं जी , अध्यक्ष भिक्खु चन्दीमा , बौद्ध धर्म के विभिन्न क्षेत्र में तीन सदस्यों के प्रख्यात विद्वान और भिक्खु संघ के आठ नामित सदस्य हैं ।
संस्थान के लक्ष्य और उद्देश्य
१. भारतीय और अन्य विदेशी भाषाओं में बौद्ध साहित्य की पांडुलिपियों और प्रकाशित संबद्ध शोध पत्र, शोध पत्रिकाओं का अध्ययन और अनुवाद ।
२. बौद्ध साहित्य और अन्य संबद्ध जानकारी के मूल संग्रह को व्यवस्थित करके प्रस्तुत करना । जिसमे डिजीटल लाइब्रेरेरी के माध्यम से इस सुविधा को आसान बनाया गया है ।
३. पाली, संस्कृत और तिब्बती भाषाओं के अध्यनन से विद्धानों और छात्रों को बौद्ध साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन कराना ।
४. बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र के लिए समर्पित अनुसंधान के लिये विद्वानों और छात्रॊ के लिए पुरस्कार और मान्यता प्रदान करने के लिए सरकार और विश्वविद्यालयों के साथ मंत्रणा कर के नियमों की स्थापना करना ।
५. बौद्ध साहित्य और उनसे संबधित पांडुलिपियों के लिए पुस्तकालयों की स्थापना करना ।
६. भारत मे और अन्य देशों मे जहाँ बौद्ध पुरातात्विक उत्खनन स्थल है , शिक्षाविद्धों और अनुसंधानकर्त्ताओं के लिए संस्कृति टूर का आयोजन करना ।
अंतराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान , गोमती नगर , लखनऊ – एक नजर
आम सरकारी विभागों से से अलग इस संस्थान की झलक इस संस्थान मे प्रवेश करने पर ही प्रतीत होती है । आकर्षक भवन , साफ़ सुथरे वातानुकूलित कक्षायें , भारतीय कला, संस्कृति, इतिहास, दर्शन, पुरातत्व और संबधित बौद्ध अध्ययन पर सुव्यवस्थित पुस्तकालय , अच्छी तरह से सुसज्जित व्याख्यान कक्ष और सम्मेलन सभागार , अतिथि वक्ताओं, शोधकर्ताओं और कोर्स प्रतिभागियों के लिए छात्रावास , नियमित पत्रिकाओं के अप-टू-डेट संस्करण , इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और पुस्तकालय के माध्यम से संबधित विषयों में जानकारी और सबसे मुख्य बात कि स्टाफ़ का मृदुल व्यवाहार ।
व्याख्यान कक्ष (ऊपर ) और भिक्खु उपानंन्द जी बौद्ध दर्शन और पाली क्लास लेते हुये
.संस्थान मे प्रवेश करते ही भगवान बुद्ध की विशाल मूर्ति के दर्शन होते हैं । तीन मंजिला इस भवन मे कई कोर्स संचालित किये जा रहे हैं । इनमे मुख्य हैं :
१. महिलाओं के लिये बौद्ध साहित्य और पाली भाषा में तीन वर्षीय B.A. का निशुल्क कोर्स जो लखनऊ विशवविधालय से संबधित है ।
२. बौद्ध धर्म और पाली भाषा में रुचि रखने वालों के लिये ६ माह का निशुल्क सर्टिफ़ेकट कोर्स जिसका समय उनकी सुविधानुसार रखा गया है । प्रात: ८-९ यह कक्षायें रोज लगती हैं । आयु का कोई बन्धन नही और हर वर्ग के इच्छुक लोग इसका लाभ उठा सकते हैं । यह सारे कोर्स पूर्णतया निशुल्क हैं । न्यून्तम योग्यता : इन्टरमीडिय़ट । इच्छुक प्रार्थी संस्थान की वेबसाइट http://buddha2550.org.in/ से जानकारी ले सकते हैं । आवेदन पत्र को डाऊनलोड अरने के लिए http://buddha2550.org.in/form.jpg पर जायें या संस्थान के दूरभाष नं. +91-0522-2300504 पर संपर्क करे ।
संस्थान का पता है :
INTERNATIONAL RESEARCH INSTITUTE OF BUDDHIST STUDIES Near Fun Hall , Opp. Reserve Bank of India
Vipin Khand, Gomti Nagar, Lucknow (U.P.) INDIA.
Contact Number :+91-0522-2300504
Fax Number :+91-0522-2300504
३. संस्थान की भविष्य की योजनाओं मे बौद्ध दर्शन और पालि भाषा में डिप्लोमा और डिग्री कोर्स भी शामिल हैं । इसके अलावा भगवान् बुद्ध द्वारा प्रदान की गई महत्वपूर्ण ध्यान पद्ध्ति ‘ विपसन्ना ‘ के भी कोर्स चलाने की योजना है ।
किसी भी संस्थान का भवन और इन्फ्रस्ट्रक्चर ही मुख्य नही होता , बल्कि आवशयक है उस से संबधित लोगों लोगों का झुकाव । भारत में बौद्ध दर्शन से जुडॆ लोग संभवत: तीन स्त्रोतों से आते हैं , एक जो परंपरागत बौद्ध है , दूसरे जो अंबेडकरवादी हैं और तीसरे जो गुरु गोयन्का और ओशो की देशना से प्रभावित होकर आये हैं । पाली भाषा के रोजगारोन्मुखी न होते हुये भी हम को यह सोचना होगा कि हम समाज और धर्म को क्या दे सकते हैं ।
फ़ेसबुक पर अंतराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान,गोमती नगर , लखनऊ
किसी भी धर्म के साथ उसकी उत्भव भाषा के महत्व को नकारा नही जा सकता । लेकिन बहुत ही कम धर्म अनुयायी है जिन्होने अपनी भाषा को न केवल बचाया बल्कि उसके पुनर्थान मे भी कोई कसर नही छॊडी। भारत मे उर्दू और अरबी के विकास और संरक्षण मे अपने मुस्लिम धर्म के अनुयायियों को साधुवाद जिनके प्रयास से यह भाषाये भारत मे जीवित ही नही बल्कि फ़ल फ़ूल भी रही है ।
पालि भाषा को बौद्ध त्रिपटक की भाषा के रुप मे भी जाना जाता है । पालि भाषा का इतिहास बुद्ध काल से शुरु होता है । भगावन् बुद्ध अपनी शिक्षाओं के माध्यम के लिए विद्वानों की भाषा संस्कृत के विरुद्ध थे और अपने अनुयायियों को स्थानीय बोलियों के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करते थे, इसलिए बौद्ध धर्म शास्त्रीय भाषा के रूप में पालि भाषा का उपयोग शुरू हुआ। धीरे-धीरे उनके मौखिक उपदेश भारत से श्रीलंका तक लगभग तीसरी शताब्दी ई.पू. पहुंचे, जहां उन्हें पालि भाषा में लिखा गया, जो देशी मिश्रित मूल की साहित्यिक भाषा थी। अंतत: पालि एक समादृत, मानक और अंतर्राष्ट्रीय भाषा बन गई।
पालि साहित्य की विकासयात्रा
पालि की उत्पत्ति के स्थान के बारे में भिन्न मत हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इसकी उत्पत्ति दक्षिण भारत में हुई। यह भी दावा किया जाता है कि यह विंध्य पर्वत के मध्य से पश्चिम में पैदा हुई, जो इस अनुमान पर आधारित है कि उस काल में उज्जैन नगर संस्कृति का केंद्र था। जहां कुछ विद्वान पालि को मागधी भाषा का साहित्यिक स्वरूप मानते हैं वहीं कुछ अन्य मगध का पक्ष लेते हैं। पालि के विद्वान 'राइस डेविड' कोसल को पालि की उत्पत्ति का स्थान मानते हैं। पहली बार इस शब्द का उपयोग पांचवीं शताब्दी के महान टीकाकार बुद्धघोष ने पाठ शब्द के समानार्थी के रूप में किया था। बुद्धघोष ने अपनी अट्ठकथाओं में पालि शब्द का प्रयोग किया है, किंतु यह भाषा के अर्थ में नहीं, बुद्धवचन अथवा मूलत्रिपिटक के पाठ के अर्थ में किया है। कुछ विद्वान इस शब्द को पंक्ति, पर्याय, पाल धातु, पाटलिपुत्र नगर ( वर्तमान घटना) और पल्ली (गांव) से भी उत्पन्न हुआ मानते हैं। यह कई लिपियों में लिखी जाती थी लेकिन मुख्य रूप से इसे लिखने के लिए ब्राह्मी लिपि का प्रयोग होता था। जैसे जैसे थेरवाद बौद्ध धर्म दक्षिण पूर्वी एशिया में फैला तो इसे लिखने के लिए स्थानीय लिपियों का प्रयोग होने लगा। बुद्ध, पूर्वी भारत में बोली जाने वाली मगधी भाषा बोलते थे। प्राचीन बौद्धों का मानना है कि पाली या तो पुरानी मगधी भाषा है या उसके जैसी भाषा है। आज यह प्रचलन में नहीं है लेकिन बौद्ध धर्मग्रन्थों को समझने के लिए इसका अध्ययन किया जाता है।अंतराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान , गोमती नगर , लखनऊ– पालि भाषा और बौद्ध साहित्य के संरक्षण की सराहनीय पहल
अंतराष्ट्रीय बौद्ध विधा शोध संस्थान की स्थापना संस्कृति मामलों के विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित की गई है । लगभग ५ साल पहले उत्तर प्रदेश की भूतपूर्व मुख्य मंत्री सुश्री मायावती जी ने इस संस्थान का लोकार्पण किया था । इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म के मुख्य घटक जैसे धर्म, दर्शन, कला, संस्कृति, वास्तुकला और साहित्य का अध्ययन और संरक्षण है ।
इस संस्थान के प्रबन्ध निदेशक डा. योगेन्द्र सिहं जी , अध्यक्ष भिक्खु चन्दीमा , बौद्ध धर्म के विभिन्न क्षेत्र में तीन सदस्यों के प्रख्यात विद्वान और भिक्खु संघ के आठ नामित सदस्य हैं ।
संस्थान के लक्ष्य और उद्देश्य
१. भारतीय और अन्य विदेशी भाषाओं में बौद्ध साहित्य की पांडुलिपियों और प्रकाशित संबद्ध शोध पत्र, शोध पत्रिकाओं का अध्ययन और अनुवाद ।
२. बौद्ध साहित्य और अन्य संबद्ध जानकारी के मूल संग्रह को व्यवस्थित करके प्रस्तुत करना । जिसमे डिजीटल लाइब्रेरेरी के माध्यम से इस सुविधा को आसान बनाया गया है ।
३. पाली, संस्कृत और तिब्बती भाषाओं के अध्यनन से विद्धानों और छात्रों को बौद्ध साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन कराना ।
४. बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र के लिए समर्पित अनुसंधान के लिये विद्वानों और छात्रॊ के लिए पुरस्कार और मान्यता प्रदान करने के लिए सरकार और विश्वविद्यालयों के साथ मंत्रणा कर के नियमों की स्थापना करना ।
५. बौद्ध साहित्य और उनसे संबधित पांडुलिपियों के लिए पुस्तकालयों की स्थापना करना ।
६. भारत मे और अन्य देशों मे जहाँ बौद्ध पुरातात्विक उत्खनन स्थल है , शिक्षाविद्धों और अनुसंधानकर्त्ताओं के लिए संस्कृति टूर का आयोजन करना ।
अंतराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान , गोमती नगर , लखनऊ – एक नजर
आम सरकारी विभागों से से अलग इस संस्थान की झलक इस संस्थान मे प्रवेश करने पर ही प्रतीत होती है । आकर्षक भवन , साफ़ सुथरे वातानुकूलित कक्षायें , भारतीय कला, संस्कृति, इतिहास, दर्शन, पुरातत्व और संबधित बौद्ध अध्ययन पर सुव्यवस्थित पुस्तकालय , अच्छी तरह से सुसज्जित व्याख्यान कक्ष और सम्मेलन सभागार , अतिथि वक्ताओं, शोधकर्ताओं और कोर्स प्रतिभागियों के लिए छात्रावास , नियमित पत्रिकाओं के अप-टू-डेट संस्करण , इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और पुस्तकालय के माध्यम से संबधित विषयों में जानकारी और सबसे मुख्य बात कि स्टाफ़ का मृदुल व्यवाहार ।
व्याख्यान कक्ष (ऊपर ) और भिक्खु उपानंन्द जी बौद्ध दर्शन और पाली क्लास लेते हुये
.संस्थान मे प्रवेश करते ही भगवान बुद्ध की विशाल मूर्ति के दर्शन होते हैं । तीन मंजिला इस भवन मे कई कोर्स संचालित किये जा रहे हैं । इनमे मुख्य हैं :
१. महिलाओं के लिये बौद्ध साहित्य और पाली भाषा में तीन वर्षीय B.A. का निशुल्क कोर्स जो लखनऊ विशवविधालय से संबधित है ।
२. बौद्ध धर्म और पाली भाषा में रुचि रखने वालों के लिये ६ माह का निशुल्क सर्टिफ़ेकट कोर्स जिसका समय उनकी सुविधानुसार रखा गया है । प्रात: ८-९ यह कक्षायें रोज लगती हैं । आयु का कोई बन्धन नही और हर वर्ग के इच्छुक लोग इसका लाभ उठा सकते हैं । यह सारे कोर्स पूर्णतया निशुल्क हैं । न्यून्तम योग्यता : इन्टरमीडिय़ट । इच्छुक प्रार्थी संस्थान की वेबसाइट http://buddha2550.org.in/ से जानकारी ले सकते हैं । आवेदन पत्र को डाऊनलोड अरने के लिए http://buddha2550.org.in/form.jpg पर जायें या संस्थान के दूरभाष नं. +91-0522-2300504 पर संपर्क करे ।
संस्थान का पता है :
INTERNATIONAL RESEARCH INSTITUTE OF BUDDHIST STUDIES Near Fun Hall , Opp. Reserve Bank of India
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Contact Number :+91-0522-2300504
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३. संस्थान की भविष्य की योजनाओं मे बौद्ध दर्शन और पालि भाषा में डिप्लोमा और डिग्री कोर्स भी शामिल हैं । इसके अलावा भगवान् बुद्ध द्वारा प्रदान की गई महत्वपूर्ण ध्यान पद्ध्ति ‘ विपसन्ना ‘ के भी कोर्स चलाने की योजना है ।
किसी भी संस्थान का भवन और इन्फ्रस्ट्रक्चर ही मुख्य नही होता , बल्कि आवशयक है उस से संबधित लोगों लोगों का झुकाव । भारत में बौद्ध दर्शन से जुडॆ लोग संभवत: तीन स्त्रोतों से आते हैं , एक जो परंपरागत बौद्ध है , दूसरे जो अंबेडकरवादी हैं और तीसरे जो गुरु गोयन्का और ओशो की देशना से प्रभावित होकर आये हैं । पाली भाषा के रोजगारोन्मुखी न होते हुये भी हम को यह सोचना होगा कि हम समाज और धर्म को क्या दे सकते हैं ।
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महत्वपूर्ण जानकारी।
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