Tuesday, May 26, 2015

गौतम बुद्ध से जुड़े ऐतिहासिक स्थल कोपिया को संवारेगी मोदी सरकार

गौतम बुद्ध से जुड़े ऐतिहासिक स्थल कोपिया को संवारेगी मोदी सरकार

कोपिया
गौतम बुद्ध से जुड़े ऐतिहासिक स्थल कोपिया को केंद्र सरकार संवारेगी। इसके लिए प्रस्तावित बौद्ध परिपथ योजना में कोपिया को भी शामिल किया जाएगा। यहां गौतमबुद्ध ने घर छोड़ने के बाद कौपीन (राजसी वस्त्र) त्यागे थे। समीप में स्थित बखिरा पक्षी विहार की भी दशा सुधार इसे राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का खाका बना है। केंद्र सरकार ने देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए थीम बेस्ड टूरिजम सर्किट को बढ़ावा देने के लिए स्वेदश योजना लॉन्च की है। इसमें नॉर्थ-ईस्ट इंडिया सर्किट, बुद्धिस्ट सर्किट, हिमालयन सर्किट, कोस्टल सर्किट और कृष्णा सर्किट शामिल हैं। बुद्धिस्ट सर्किट और कृष्णा सर्किट का ज्यादातर हिस्सा यूपी से जुड़ा हुआ है। बुद्ध सर्किट में बिहार के बोधगया, राजगीर, वैशाली से लेकर यूपी में सारनाथ, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कुशीनगर से लेकर नेपाल का लुंबिनी शामिल है। बुद्ध के जन्म से लेकर ज्ञान प्राप्ति, उपदेश, कर्मस्थली से लेकर महापरिनिर्वाण तक सर्किट में कवर होते हैं। इस सर्किट में आने वाले बुद्ध से जुड़े उन स्थलों को भी विकसित करने की योजना है, जो अहम होते हुए भी उपेक्षित हैं।
पर्यटन मंत्रालय ने योजना को प्रभावी बनाने और मॉनिटरिंग बेहतर करने के लिए सांसदों को भी इसका हिस्सा बनाया है। पूर्वांचल से जुड़े बुद्ध के स्थलों के सांसद कुशीनगर से राजेश पाण्डेय, श्रावस्ती से दद्दन मिश्र, संतकबीर नगर से शरद त्रिपाठी, गोरखपुर से महंत योगी आदित्यनाथ भी इस कमिटी में शामिल हैं। पिछले दिनों केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री महेश शर्मा की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में उन स्थलों के चयन और विकास पर सहमति बनी जो बौद्ध सर्किट में छूटे हुए हैं। इसमें कोपिया को भी शामिल किया गया है।
संतकबीर नगर के सांसद शरद त्रिपाठी का कहना है कि बौद्ध सर्किट की लगभग 125 करोड़ रुपये की योजना पर्यटन और रोजगार के लिहाज से अहम है। संतकबीर नगर मुख्यालय से मेहदावल रोड पर स्थित कोपिया आगे कपिलवस्तु से जुड़ता है। बौद्धकालीन टीले के साथ प्राचीन शिव मंदिर यहां मौजूद है। टीले के सरंक्षण के साथ यहां गेस्ट हाउस और दूसरी बुनियादी सुविधाएं विकसित करने का प्रस्ताव बना है। बौद्ध सर्किट से जुड़ने के बाद श्रीलंका, जापान, चीन के बौद्ध अनुयायियों का यहां आवागमन होगा। साथ ही यहां से पास में स्थित लगभग 30 किमी के बखिरा झील और पक्षी विहार को विकसित कराकर दोनों स्थलों को इंटरलिंक किया जाएगा।
साभार : नवभारत टाइम्स, लखनऊ , दिनांक २३-५-२०१५

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