🌹संयुत्त निकाय🌹
🔰सातवाँ परिच्छेद🔰
🌴३९. चित्त-संयुत्त🌴
🌳८.निगण्ठ सुत्त ( ३९. ८ )🌳
ज्ञान बड़ा है या श्रद्धा :
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उस समय निगण्ठ नातपुत्त मच्छिकासण्ड में अपनी बड़ी मण्डली के साथ पहुंचा हुआ था।
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गहपति चित्त ने सुना कि निगण्ठ नातपुत्त मच्छिकासण्ड में अपनी बड़ी मण्डली के साथ पहुँचा हुआ है।
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तब, गहपति चित्त कुछ उपासकों के साथ जहाँ निगण्ठ नातपुत्त था वहाँ गया,
और कुशल-क्षेम पूछ कर एक ओर बैठ गया।
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एक ओर बैठे गहपति चित्त से निगण्ठ नातपुत्त बोला-
" गहपति ! तुम्हें क्या ऐसा विश्वास है कि समण गोतम को भी अवितर्क-अविचार समाधि लगती है, उसके वितर्क और विचार का क्या निरोध होता है?"
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" भन्ते ! मैं श्रद्धा से ऐसा नहीं मानता हूँ कि भगवान् को अवितर्क-अविचार समाधि लगती है, जिससे वितर्क-विचार का निरोध होता है ।"
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इस पर, निगण्ठ नातपुत्त अपनी मण्डली को देख कर बोला-
" आप लोग देखें,
गहपति ! चित्त कितना सीधा है,
सच्चा है,
निष्कपट है ॥
वितर्क और विचार का निरोध कर देना मानो हवा को जाल से बुझाना है।"
🌴
" भन्ते !
क्या समझते हैं, ज्ञान बड़ा है या श्रद्धा ?"
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" गहपति ! श्रद्धा से ज्ञान ही बड़ा है।
जब मेरी इच्छा होती है, मैं ...
प्रथम ध्यान को प्राप्त होकर विहार करता हूँ,
द्वितीय ध्यान को प्राप्त होकर विहार करता हूँ,
तृतीय ध्यान को प्राप्त होकर विहार करता हूँ,
चतुर्थ ध्यान को प्राप्त होकर विहार करता हूँ,।"
🌴
" भन्ते !
सो मैं स्वयं ऐसा जान और देख,
क्या किसी समण या ब्राह्मण की श्रद्धा से ऐसा जानूँगा कि,
अवितर्क-अविचार समाधि होती है, तथा
वितर्क और विचार का निरोध होता है ।।"
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ऐसा कहने पर, निगण्ठ नातपुत्र अपनी मण्डली को देखकर बोला-
" आप लोग देखें,
चित्त कितना टेढ़ा है,
शठ है,
कपटी है !!"
🌴
" भन्ते !
अभी तुरंत ही आपने कहा था-
' गहपति चित्त कितना सीधा है,
सच्चा है,
निष्कपट है ॥
वितर्क और विचार का निरोध कर देना मानो
हवा को जाल से बुझाना है।"
और
अभी ही आप कह रहे हैं-...
' गहपति चित्त कितना टेढ़ा है,
शठ है,
कपटी है !!"।"
🌴
"भन्ते !
यदि आपकी पहली बात सच है,
तो दूसरी बात झूठ, और
यदि दूसरी बात सच है तो पहली बात झूठ ।"
🌴
" भन्ते !
यह दस धम्म के प्रश्न आते हैं।
जब आप इनका उत्तर जानें तो मुझे
और
अपनी मण्डली को बतायें।
(१) जिसका प्रश्न एक का हो और जिसका
उत्तर भी एक का हो।
(२) जिसका प्रश्न दो का हो और जिसका उत्तर
भी दो का हो ।
(३) जिसका प्रश्न तीन का हो और जिसका
उत्तर भी तीन का हो ।
(४) जिसका प्रश्न चार का हो और जिसका
उत्तर भी चार का हो ।
(५) जिसका प्रश्न पाँच का जिसका उत्तर भी
पाँच का हो ।
(६) जिसका प्रश्न छः का जिसका उत्तर भी छ:
का हो ।
(७) जिसका प्रश्न सात का जिसका उत्तर भी
सात का हो ।
(८) जिसका प्रश्न आठ का जिसका उत्तर भी
आठ का हो ।
(९) जिसका प्रश्न नव का जिसका उत्तर भी
नव का हो । ।
(१०) जिसका प्रश्न दस का हो, और जिसका
उत्तर भी दस का हो ।"
🙇
तब, गहपति चित्त निगण्ठ नातपुत्त से यह प्रश्न पूछ आसन से उठकर चला गया ।
🙏
टिप्पण :
इन दस प्रश्न व उनके उत्तर के लिये देखें :-
👇👇👇
🌹34. दसुत्तर-सुत्त (३।११)🌹
🌹दिग्घनिकाय (3,11)🌹
🔺1. बौद्ध-मन्तव्यो की सूची उपकारक,
🔺2. भावनीय,
🔺3. परिज्ञेय,
🔺4. प्रहातव्य,
🔺5. हानभागीय,
🔺6. विशेषभागीय,
🔺7. दुष्प्रतिवेघ्य,
🔺8. उत्पादनीय,
🔺9. अभिज्ञेय,
🔺10. साक्षात्करणीय धम्म ॥
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
संकलन कर्ता
डॉ राकेश अनुरागी
श्री मनीष कुमार
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