Saturday, January 17, 2009

चार आर्य सत्य और अष्टागिंक मार्ग

चार आर्य सत्य

१. दु:ख है।

२. दु:ख का कारण है ।

३. दु:ख का निदान है ।

४. वह मार्ग है , जिससे दु:ख का निदान होता है ।

अष्टागिंक मार्ग

१. सम्यक दृष्टि ( अन्धविशवास तथा भ्रम से रहित )  ।

२. सम्यक संकल्प (उच्च तथा बुद्दियुक्त )  ।

३. सम्यक वचन ( नम्र , उन्मुक्त , सत्यनिष्ठ )  ।

४. सम्यक कर्मान्त ( शानितपूर्ण , निष्ठापूर्ण ,पवित्र )  ।

५. सम्यक आजीव ( किसी भी प्राणी को आघात या हानि न पहुँचाना )  ।

६. सम्यक व्यायाम ( आत्म-प्रशिक्षण एवं आत्मनिग्रह हेतु )  ।

७. सम्यक स्मृति ( सक्रिय सचेत मन )  ।

८. सम्यक समाधि ( जीवन की यथार्थता पर गहन ध्यान ) ।

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