चार आर्य सत्य
१. दु:ख है।
२. दु:ख का कारण है ।
३. दु:ख का निदान है ।
४. वह मार्ग है , जिससे दु:ख का निदान होता है ।
अष्टागिंक मार्ग
१. सम्यक दृष्टि ( अन्धविशवास तथा भ्रम से रहित ) ।
२. सम्यक संकल्प (उच्च तथा बुद्दियुक्त ) ।
३. सम्यक वचन ( नम्र , उन्मुक्त , सत्यनिष्ठ ) ।
४. सम्यक कर्मान्त ( शानितपूर्ण , निष्ठापूर्ण ,पवित्र ) ।
५. सम्यक आजीव ( किसी भी प्राणी को आघात या हानि न पहुँचाना ) ।
६. सम्यक व्यायाम ( आत्म-प्रशिक्षण एवं आत्मनिग्रह हेतु ) ।
७. सम्यक स्मृति ( सक्रिय सचेत मन ) ।
८. सम्यक समाधि ( जीवन की यथार्थता पर गहन ध्यान ) ।
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