Saturday, January 17, 2009

'तिपिटक ' बुद्ध की वाणी



 

 

 

 

 

 

 



 

 

 

 

 

 

 

 

समूची बुद्ध वाणी को ’ तिपिटक ’ के नाम से जाना जाता है । तिपिटक के तीन बडे विभाजन हैं : १) विनयपिटक २) सुत्तपिटक तथा अभिधम्मपिटक । इनमें से सुत्तपिटक के अंतर्गत पाँच निकाय हैं १) दीघनिकाय २ ) मज्झिमनिकाय ३)संयुत्तनिकाय ४) अङ्गुत्तरनिकाय और ५) खुद्दकनिकाय ।’ खुद्दकनिकाय ’ के अंतर्गत १९ ग्रंथ हैं । इन १९ ग्रंथों मे से एक है “ धम्मपद्ध “ । “ धम्मपद्ध “ यानि धर्म का मार्ग जिसमें बुद्ध के धर्म संबधी सूक्त या कथन संग्रुहीत हैं । “ धम्मपद्ध “ बौद्ध धर्म की गीता है । इसमे कुल ४२३ गाथायें हैं जो गौतम बुद्ध ने बुद्ध्त्व प्राप्ति के समय से लेकर परिनिर्वाण काल तक उपदेश क्रम मे समय-२ पर कही गयी हैं ।यह सूक्त बुद्ध द्वारा विभिन्न-३ स्थानों मे जैसे जेतवन , वेणुवन , श्र्रावस्ती , वेसाली , गिज्झकूट इत्यादि में भिक्षुओं , थेरों और थेरियों को कहे गये हैं ।

No comments:

Post a Comment