Chapter One -- The Pairs-verses 5-6
१. यमकवग्गो- छंद ५-६
५.
न हि वेरेन वेरानि, सम्मन्तीध कुदाचनं।
अवेरेन च सम्मन्ति, एस धम्मो सनन्तनो॥
इस लोक मे कभी भी वैर से वैर शांत नहीं होता , बल्कि अवैर से शांत होता है । यही सनातन धर्म है ।
Hatred is never appeased by hatred in this world; by non-hatred alone is hatred appeased. This is an Eternal Law.
परे च न विजानन्ति, मयमेत्थ यमामसे।
ये च तत्थ विजानन्ति, ततो सम्मन्ति मेधगा॥
अनाडी लोग नही जानते कि हम इस संसार से जाने वाले हैं । जो इसे जान लेते हैं उनके झगडॆ शांत हो जाते हैं ।
There are those who do not realize that one day we all must die, but those who realize this settle their quarrels.
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