Sunday, January 25, 2009

धम्मपद- यमकवग्गो ( The Dhaamapada -Chapter One -- The Pairs-verses 5-6 )

Chapter One -- The Pairs-verses 5-6

                             १. यमकवग्गो- छंद ५-६

५.

न हि वेरेन वेरानि, सम्मन्तीध कुदाचनं।

अवेरेन च सम्मन्ति, एस धम्मो सनन्तनो॥

इस लोक मे कभी भी वैर से वैर शांत नहीं होता , बल्कि अवैर से शांत होता है । यही सनातन धर्म है ।

Hatred is never appeased by hatred in this world; by non-hatred alone is hatred appeased. This is an Eternal Law.


६.

 

परे च न विजानन्ति, मयमेत्थ यमामसे।

ये च तत्थ विजानन्ति, ततो सम्मन्ति मेधगा॥

अनाडी लोग नही जानते कि हम इस संसार से जाने वाले हैं । जो इसे जान लेते हैं उनके झगडॆ शांत हो जाते हैं ।

There are those who do not realize that one day we all must die, but those who realize this settle their quarrels.

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