Tuesday, June 23, 2015

‘ मेस ऐनक ’ अफगानिस्तान- अतीत मे जाता हुआ एक और ‘बामियान’


मेस ऐनक वर्तमान पीढ़ी की सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज है। वर्तमान में यह एक विशाल तांबे के भंडार पर बैठा है । यह तो निशिचित ही है कि यह आने वाले कुछ महीनों मे पूर्णताया नष्ट कर दिया जायेगा  । लेकिन साथ ही मे नष्ट होगा पुरातत्वविदों के लिये एक अनमोल खजाना।



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एक बार  दोबारा इतिहास  अफगानिस्तान मे दोहराने जा रहा है । हाँ , फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि जहाँ बामियान मे सन्‌ 2001 में तालिबान ने  गौतम बुद्ध की प्रतिमाओं को नष्ट मजहबी उन्माद और नफ़रत के कारण किया दूसरी ओर  मेस ऐनक मे धार्मिक उन्माद वजह नही बल्कि मेस ऐनक के गर्भ मे छिपे तांबे के बड़े भण्डार हैं जो अफगानिस्तान सरकार के लिये कमाई का स्त्रोत साबित होने जा रहे हैं ।
एक समय था कि अफगानिस्तान का पूर्वी हिस्सा प्राचीन काल में बौद्ध धर्म का केंद्र हुआ करता था । वहाँ कई मठ और विहार इसकी पुष्टि भी करते हैं । बामियान मे विशाल बुद्ध की प्रतिमा को लोग नही भूले होगें ।
सन्‌ १९६३ में एक फ्रांसीसी भूविज्ञानी को  लोगार प्रांत के पूर्वी भाग  एक सर्वेक्षण के लिये भेजा गया । उनका गंतव्य था मेस ऐनक गाँव मे पहाडॊं के ऊपर जमे ताँबे की विशाल तहों की खोज करना । लेकिन खुदाई के दौरान पुरातत्वविद को कुछ ऐसा दिखाई दिया जिसकी उन्होनें कल्पना भी नही की होगी । उन्होने पाया इतिहास की अनमोल धरोहर – हजारों साल पहले की जमीन कॆ गर्भ मे समाया एक बौद्ध शहर । पुरातत्वविद का यह अनुमान था कि यह लगभग छ वर्ग किमी के दायरे मे या इससे कुछ अधिक के दायरे में  फ़ैला हुआ था और यह सिल्क रोड का सबसे धनी अंतिम स्टेशन था ।
सन्‌ १९७८ में  मार्क्सवादी तख्तापलट और  १९७९ में  सौर कम्युनिस्ट क्रांति और सोवियत आक्रमण नें इस छेत्र मे हस्तक्षेप किया । अराजकता के इस दौर में  सोवियत संघ ने  पहाड़ में परीक्षण के लिये सुरंगों की खुदाई और उससे तांबा निकालने की व्यवाहारिकता  की जांच करने के लिए मेस ऐनक का दौरा किया। सोवियत के जाने के बाद   तालिबान के युग के दौरान, परित्यक्त सोवियत सुरंगों में से कई अल-कायदा के ठिकाने बन गये और  दूरस्थ घाटी में  प्रशिक्षण शिविर भी बन गये । दिसंबर २००१ के अमेरिकी हमले के दौरान अमेरिका के विशेष बलों ने सुरंग पर हमला किया जिसका प्रमाण गुफ़ाओं के छ्त और मुँह पर जले हुये निशान हैं । सन्‌ २००४ मे फ्रेंच पुरातत्वविदों ने इस छेत्र का एक बार फ़िर से सर्वेक्षण किया  और पाया कि गर्भ मे समाया यह बौद्ध नगर है ।
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इतिहास की इस धरोहर के बाहर आते ही पेशावर लुटेरॊ की जैसे बाढ सी आ गयी जिनमे अधिकाशं पाकिस्तानी लुटैरे थे । अधिकाशं लूट गान्धार कला मे बनी बुद्ध की मूर्ति की थी जिसकी कीमत लाखो डालर आँकी गई ।
पुरात्तव से जुडी होने के कारण अब अफ़गान सरकार का ध्यान गया । स्थल की सुरुक्षा के लिये गार्ड नियुक्त किये गये । लेकिन सब कुछ ठीक ठाक नही चला । सन्‌ २००४ में, स्थल की सुरुक्षा के लिए गार्ड मे आपस में ही भिडॆ  और अन्त सुरुक्षा कर्मियों की मृत्यु से हुआ । अब सब कुछ अफ़गान सरकार के नियंत्रण से बाहर था । लेकिन इस बात से अब इन्कार करना संभव भी नही था कि मेस ऐनक इस सदी बहुत ही महतपूर्ण खोज थी ।
मेस ऐनक की घाटी मे उत्खनन  के दौरान 19 अलग पुरातात्विक स्थलों की खोज हुई  जिनमें चार  मठ, एक पारसी आग मंदिर और प्राचीन तांबे का बर्तन,  ताँबा गलाने की कार्यशालायें, खनिक बस्तियाँ और  कई बौद्ध स्तूप और साथ ही साथ दो छोटे किलों और एक गढ़ पाये गये । पुरात्तव विशेषज्ञों ने बुद्ध के जीवन से जुडॆ भित्तीय चित्र ,कुषाण, सासानी साम्राज्य और इंडो-पार्थियन साम्राज्य से जुडॆ सिक्कों के ढेर, 1,000 से अधिक मूर्तियां, और कई पूरी तरह से संरक्षित भित्तिचित्रों की भी खोज की ।
वस्तुत: स्थिति अब साफ़ दिखने लगी है ,  मेस ऐनक पहली शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर दसंवी शताब्दी तक एक प्रमुख  बौद्ध केन्द्र था । सिल्क रुट के माध्यम से यह भारत के प्रमुख केन्द्र जैसे नांलदा , बोद्धगया और सारनाथ से जुडा था । भारत से बौद्ध संस्कृति दक्षिण एशियाई देशों मे इसी रुट से ही गुजरी और साथ ही में चीनी बौद्ध भिक्षुओं के लिये एक महत्वपूर्ण रोक बिंदु स्थान भी रहा  ।
सन्‌ 2008 में चीनी एक बार फ़िर से लौटॆ लेकिन इस बार तीर्थ यात्रियों की तरह नही और न ही  विद्धानॊ की तरह बल्कि इस बार  एक सफ़ल व्यपारी की तरह उन्होने  मेस ऐनक में प्रवेश किया । एक चीनी खनन संघ - चीनी मैटलर्जिकल समूह और जियान्गजी ( Jiangxi )  कॉपर समूह ने पूरी साइट को तीन अरब डॉलर के लिए  30 साल के पट्टे पर खरीदा और उनके अनुसार घाटी में तांबा  संभावित 100 अरब डालर के आस पास का है ।  यह  दुनिया में संभवत: सबसे बड़ी ऐसी जमा है, और आने वाले दिनों मे यह अफगानिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था की पूरी रीढ साबित होगी । अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई की सरकार पूरा भरोसा है कि यह  राष्ट्रीय आर्थिक पुनरुत्थान के लिये  एक महत्वपूर्ण घटक साबित होगा । कुछ प्रेक्षकों का अनुमान है यह परियोजना वर्ष 2016 तक वर्ष चीनी खनन कम्पनी को 300 अरब डालर और अफगान सरकार को कुल रॉयल्टी के रुप  40 अरब डालर का मुनाफ़ा प्रदान कर सकती है ।
हामिद करजई की सरकार को काम खत्म होने का बेसब्री से इंतजार है. जितनी जल्दी पुरातत्ववेत्ता अपना काम यहां खत्म कर लेंगे, उतनी ही जल्दी सरकार इन खदानों से तांबा निकालने का काम शुरू कर सकती है । लेकिन दूसरी ओर प्राचीन धरोहर को निकालने का काम बहुत ध्यान से किया जा रहा है, ताकि ये कलाकृतियां खराब ना हो सकें । इसके लिये अफगानिस्तान (दाफा) में फ्रांसीसी पुरातत्व मिशन के पुरातत्वविदों ने एक प्रमुख बचाव खुदाई शुरु की है जिसमें चीन ने २ लाख डलर , अमेरिका ने १ लाख डालर और विशव बैंक ने ८ लाख डालर की सहायता प्रदान की है ।
‘ Saving Mes Aynak ‘ सेविंग मेस ऐनक वृत्त चित्र
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ब्रेंट ई हुफ़मैन द्वारा निर्देशित Saving Mes Aynak नामक एक वृत्तचित्र इसी  पुरातात्विक स्थल की कहानी है जो इस स्थल और इससे जुडे प्रमुख पात्र जैसे फ्रेंच पुरातत्वविद् प्रमुख फिलिप मारकिस ,  अफगान पुरातत्व राष्ट्रीय संस्थान में पुरातत्वविद् अब्दुल कदीर टेमोर, चीन मैटलर्जिकल समूह निगम के  प्रबंधक लियू विनमिंग ,  अमेरिकी पुरातत्वविद् लौरा टिड्स्को और स्थानीय अफ़गान नागरिकों और सहायकों की मदद से बनाई गई है ।
इस डाक्यूमेन्ट्री फ़िल्म का प्रीमियर सन्‌ २०१४ में IDFA फिल्म समारोह , एम्स्टर्डम में और 2015 में Full frame festival अमेरिका मे हो चुका है । 

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