🌻 सफलता एवं उन्नति का आधार "संकल्प शक्त्ति" है 🌻
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एक बार तथागत बुद्ध अपने शिष्यों के साथ किसी पर्वतीय स्थल पर ठहरे थे | शाम के समय वह अपने एक शिष्य के साथ भ्रमण के लिए निकले | दोनों प्रकृति के मोहक दृश्य का आनंद ले रहे थे | विशाल और मजबूत चट्टानों को देख शिष्य के भीतर उत्सुकता जागी | उसने पूछा...इन चट्टानों पर तो किसी का शासन नहीं होगा क्योंकि ये अटल, अविचल और कठोर हैं | शिष्य की बात सुनकर बुद्ध बोले नहीं इन शक्तिशाली चट्टानों पर भी किसी का शासन है | लोहे के प्रहार से इन चट्टानों के भी टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं | इस पर शिष्य बोला तब तो लोहा सर्वशक्तिशाली हुआ ? बुद्ध मुस्कराए और बोले नहीं | अग्नि अपने ताप से लोहे का रूप परिवर्तित कर सकती है | उन्हें धैर्यपूर्वक सुन रहे शिष्य ने कहा मतलब अग्नि सबसे ज्यादा शक्तिवान है | नहीं बुद्ध ने फिर उसी भाव से उत्तर दिया जल अग्नि की उष्णता को शीतलता में बदलता देता है तथा अग्नि को शांत कर देता है | शिष्य कुछ सोचने लग गया | बुद्ध समझ गए कि उसकी जिज्ञासा अब भी पूरी तरह शांत नहीं हुई है | शिष्य ने फिर सवाल किया आखिर जल पर किसका शासन है ? बुद्ध ने उत्तर दिया वायु का | वायु का वेग जल की दिशा भी बदल देता है | शिष्य कुछ कहता उससे पहले ही बुद्ध ने कहा अब तुम कहोगे कि पवन सबसे शक्तिशाली हुआ | नहीं वायु सबसे शक्तिशाली नहीं है | सबसे शक्तिशाली है मनुष्य की संकल्पशक्ति क्योंकि इसी से पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि को नियंत्रित किया जा सकता है | अपनी संकल्पशक्ति से ही अपने भीतर व्याप्त कठोरता, ऊष्णता और शीतलता के आगमन को नियंत्रित किया जा सकता है, इसलिए संकल्पशक्ति ही सर्वशक्तिशाली है | जीवन में कुछ भी महत्वपूर्ण कार्य संकल्पशक्ति के बगैर असंभव है | इसलिए अपने भीतर संकल्पशक्ति का विकास करो | सफलता एवं उन्नति का आधार : हमारी संकल्प शक्ति है |
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