देश-दुनिया में कृष्ण की जन्मभूमि के तौर पर पहचाने जाने वाले मथुरा में भगवान बुद्ध से जुड़ी कई धरोहरें मौजूद हैं। बताया जाता है कि टीलों पर बसे मथुरा में ही बुद्ध की पहली मूर्ति बनी थी। लाल बलुआ पत्थर से बनीं शैव, बौद्ध व जैन धर्मों से जुड़ी कई मूर्तियां यहां के राजकीय संग्रहालय में सुरक्षित हैं। यहां कुषाण और गुप्तकालील मथुरा शैली की कलाकृतियों के साथ ही सिक्के, लघुचित्र, धातुमूर्ति, काष्ठ और स्थानीय कला के ढेरों दुर्लभ रत्न सहेज कर रखे गए हैं।
राजकीय संग्रहालय मथुरा के सहायक निदेशक डॉ. एसपी सिंह, के अनुसार कनिष्क के समय हुई बौद्ध धर्म की चौथी संगीति (महासभा) के बाद महायान शाखा के अनुयायियों ने बुद्ध की पहली मूर्ति मथुरा में बनाई थी। इसके बाद दूसरी जगहों पर भी बुद्ध की मूर्तियां बनने लगीं।
संग्रहालय के पूर्व विथिका सहायक शत्रुघ्न शर्मा के अनुसार शुरुआत में मूर्तिकला की सिर्फ दो ही शैलियां प्रचलित थीं, मथुरा मूर्ति कला और गांधार मूर्तिकला। बुद्ध से जुड़ी मूर्तियां भी सबसे पहले इन्हीं शैलियों में बनीं। ढाई फीट ऊंची और डेढ़ फीट चौड़ी बुद्ध की पहली मूर्ति 1860 में कटरा केशव देव मंदिर खुदाई के दौरान मिली।
1874 में तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर एफएस ग्राउज ने यहां खोदाई के दौरान मिली कलाकृतियों में दिलचस्पी दिखाई। उसने इन्हें सहेजने के लिए कचहरी के पास स्थिज जमालपुर टीले पर बने विश्राम गृह में संग्रहालय की स्थापना की। 1933 में संग्रहालय को डेम्पियर नगर में शिफ्ट कर दिया गया।
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